सुझाव : शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन पर हो अधिक बजट
देहरादून | मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आम जनता से फेसबुक पर लाइव संवाद किया। उन्होंने उनके फेसबुक पेज और बजट विभाग के फेसबुक पेज पर उत्तराखंड के 2019-2020 बजट के लिए लोगों के द्वारा दिये सुझावों को सराहनीय बताया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जागरुक नागरिक होने के नाते बहुत से लोगों ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपने सुझाव दिए। करीब 1500 सुझाव इसमें मिले जिनमें से ज्यादातर सुझाव किसानों की बेहतरी, पहाड़ों से पलायन रोकने के उपाय, स्वास्थ्य सुविधाओं और रोजगार सृजन से संबंधित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि सभी सुझावों का अध्ययन कर ज्यादा से ज्यादा सुझावों को बजट में शामिल किया जाए। लाइव संवाद में सुश्री संयोगिता नेगी रावत, धीरेंद्र सिंह रावत, हर्षवर्धन जोशी, ब्रिज सिंह, धर्म सिंह भंडारी आदि बहुत से लोगों ने सुझाव दिया कि सड़कों में सुधार कर गांवों को सड़क से जोड़ा जाय। इस पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सड़के विकास का आइना होती है। गांव हो या शहर, रोड कनेक्टिविटी पर हमारी सरकार का विशेष ध्यान है। नेशनल हाइवे की दशा बदल रही है। ऑल वेदर रोड का काम चल रहा है। गांवों में भी हमने लगभग हर ब्लॉक को सड़क संपर्क से जोड़ा है। हमने 2022 तक 300 पुलो के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इससे कई क्षेत्र जो बिना पुल के सड़क से नही जुड पा रहे थे वे सड़क से जुड़ जायेंगे। इससे स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों को भी सुविधा होगी। दीपेंद्र परमार ने उत्तरकाशी में इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण के सम्बन्ध में सुझाव दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिये बजट की कमी नही है। हमारा प्रयास इस कालेज को स्किल डेवलपमेंट के रूप में संचालित करने का है। राकेश चंद्र, राकेश कुलियाल, अग्रिम रमोला, पूरण महतोलिया आदि ने शिक्षा को लेकर सुझाव दिया है कि शिक्षकों की कमी पूरी की जाए और क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान दिया जाए। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षकों की कमी पूरी करने की हरसंभव कोशिश हो रही है। वर्चुअल क्लास का नया प्रयोग उत्तराखंड में शुरू किया गया है। इससे शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों को वर्चुअल क्लास के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। क्वालिटी एजुकेशन के लिए एनसीईआरटी का स्लेबस पिछले वर्ष से ही लागू है। एक ही केम्पस के स्कूलों की क्लबिंग कर वहां शिक्षकों की कमी दूर करने तथा गुणवत्ता युक्त शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है।
विमल नेगी, उदय सिंह जीना, महेश चंद्र पंत, नरेंद्र गौनियाल आदि कई लोगों ने पलायन रोकने से सम्बन्धित सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ पलायन रोकना ही नहीं, बल्कि रिवर्स माइग्रेशन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना हमारी शीर्ष प्राथमिकताओं में से है। इस दिशा में हमने बहुत काम किया है। पलायन आयोग का गठन किया है जो हर जिले की डिटेल स्टडी कर रहा है। इसी के आधार पर हम गावों को मजबूत करने की पहल कर रहे हैं। होमस्टे के जरिए ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर खोले जा रहे हैं। अब तक 82 ग्रोथ सेन्टर स्थापित किये जा चुके हैं। यह अर्थव्यवस्था के लिये माइल स्टोन साबित होगा। नई टाउनशिप भी इससे विकसित होगी। गांवों में खेती बाड़ी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जैविक उत्पादों को प्रोत्साहन मिल रहा है। मत्स्य पालन, पशुपालन, दुग्धउत्पादन आदि में भी युवा स्वरोजगार की राह अपना रहे हैं। इसके अलावा हमने सौर नीति लागू की है जिसके तहत करीब 800 करोड़ के सोलर प्रोजेक्ट ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवंटित किए गए हैं। अब हमने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने की योजना भी शुरू कर दी है जिससे आप बिजली बनाने के साथ पैसा भी कमा सकते हैं। इन सभी प्रयासों से मिलजुलकर हम अपने गावों तक संवार सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पर्वतीय क्षेत्रों की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। दिनेश चंद्र आर्य, रघुवीर सिंह, पूरण चंद्र आर्यन, सुरेंद्र भंडारी का सुझाव स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर था। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के लिये बजट पर विशेष ध्यान देने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देना हमारी प्राथमिकता है। अभी केंद्रीय बजट में आयुष्मान भारत योजना के तहत इमपैनल्ड अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की घोषणा हुई है। उत्तराखंड अपने राज्य के सभी लोगों के लिए इस तरह की योजना देने वाला पहला राज्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन के अध्ययन में तीन बाते शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की बात सामने आयी है। हमने इस दिशा मे प्रभावी पहल की है। 2300 डाक्टरों की तैनाती की जा चुकी है। दूरस्थ क्षेत्रो को टेलीमेडिशिन से जोडा गया है। हमारा प्रयास 2020 तक प्रत्येक 10-12 कि0मी0 पर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की है।