सावरकर को नायक के रूप में पेश करेगी सरकार
नई दिल्ली। देश की आजादी के इतिहास में वामपंथी और गांधीवादियों से नकार दिए गए वीर सावरकर को मोदी सरकार ’न्याय’ दिलाएगी। मोदी सरकार के पहले स्वाधीनता दिवस भाषण से पहले पूरे देश के सामने विनायक दामोदर सावरकर को स्वतंत्रता के हीरो के रूप में पेश किया जाएगा। देश के अन्य महान स्वाधीनता सेनानियों के तारामंडल में वीर सावरकर की चमक कतई मद्धिम न रहे, यह राजग सरकार सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत के बाद भी महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के साथ-साथ प्रमुखता से वीर सावरकर का नाम लिया था। कांग्रेस शासित सरकारों में उपेक्षित रहे सावरकर को इस दफा इन्हीं स्वाधीनता सेनानियों और क्रांतिकारियों के साथ पूरी हनक और चमक के साथ दिखाया जाएगा। इसके लिए स्वाधीनता दिवस से पहले दूरदर्शन ने श्रोड टू फ्रीडमश् शीर्षक से डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है। इस फिल्म में आजादी के नायकों के साथ सावरकर के दुर्लभ चित्र और चलचित्र भी दिखाए जाएंगे। इस विशेष डाक्यूमेंट्री को दूरदर्शन के आर्काइव के बल पर तैयार किया गया है। खास बात है कि पहली बार वीर सावरकर का कोई चलचित्र जनता के सामने आ पाएगा। दूरदर्शन के आर्काइव सेक्शन ने 1942 में दिल्ली आए क्रिप्स मिशन से मुलाकात करने जाते हुए सावरकर का फुटेज निकाला है। तीन-चार सेकेंड के इस फुटेज में तमाम नेताओं के साथ सावरकर भी दिखाई पड़ेंगे। वामपंथी और गांधीवादी इतिहासकार हमेशा से सावरकर के चिंतन और कृत्यों के आलोचक रहे हैं। फिर महात्मा गांधी की हत्या में भी वे अभियुक्त बनाए गए थे, लेकिन अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। वीर सावरकर हमेशा से संघ परिवार और भाजपा के लिए बेहद ऊपर रहे हैं। संघ समर्थित इतिहासकार सावरकर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू करने वाले जननायक के रूप में मानते रहे हैं। अपने जीवन का ज्यादातर समय अंग्रेजों की जेल में बिताने वाले सावरकर को लेकर पिछली राजग सरकार में भी विवाद हुआ था। उस समय संसद परिसर में उनकी मूर्ति को लगाने का कांग्रेस ने विरोध किया था, लेकिन तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने झुकने से इनकार कर दिया था। यह डाक्यूमेंट्री उसी कड़ी का हिस्सा है।