वर्षायोग का अहम महत्व, जानिए खबर
देहरादून | आज प० पू० आचार्य 108 श्री विबुद्ध सागर महाराज एवं पुण्य क्षुल्लक रत्न 105 श्री समर्पर्ण सागर जी महाराज वर्षायोग की जानकारी देते हुए मधुसचिन जैन ने बताया कि जैन धर्मशाला में दो महाराज जी का मंगल आशीर्वाद प्राप्त हुआ जो यहां चौमासे में विराजमान रहेंगे। वर्षायोग आषाढ शुल्ल चतुर्दशी से प्रारम्भ होकर कार्तिक कृष्ण अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में वर्षा होने पर अनेको सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होती है और पद विचरण करने से उन जीवो की हिंसा ना हो उस अभिप्राय से जैन साधु एक ही स्थान पर रहते हैं। वर्षायोग स्थापना से पूर्व आज परम् पूज्य आचार्य श्री विबुध सागर जी महाराज ने केशलोच किया। केशलोच में दिगम्बर संत अपने मस्तक एवं दाढी के बाल घास की भांति उखाड़ कर फेंक देते हैं। इस अवसर पर जैन समाज के कार्य कारी अध्यक्ष विनोद जैनने कहा कि संसार में जीव अपने सम्पूर्ण जीवन में शरीर को ही सर्वस्व मानता है। लेकिन दिगम्बर साधु अपना सर्व परिग्रह त्याग कर अपने तन से भी मोह ना रखते हुए केशलोच करते है जैन समाज के महामंत्री एवं साधु सेवा समिति के मुख्य संयोजक श्री हर्ष जैन, रामपुर वालों ने बताया कि जैन साधु 28 मूल गुणों का विधिवत पालन करते हैं पाँच महाव्रत पांच समिति पाँच इन्द्रीपर विजय षट आवश्यक एवं सात विशेष गुण जिनमें एक केशलोच नामक मूल गुण है का विधिवत पालन करते हैं। प्रत्येक 3-4 माह के पश्चात् साधु केश लोच करते हैं। इस अवसर पर जैन भवन मंत्री एवं चौमासा वर्षा योग संयोजक श्री संदीप जैन जी ने कहा कि आगामी 25 तारीख को कलश कल स्थापना एवं 10:00 बजे कलश यात्रा मंदिर प्रांगण में सूक्ष्म रूप से निकाली जाएगी। कार्यक्रम में समाज के अध्यक्ष विनोद जैन, महामंत्री हर्ष जैन, कोषाध्यक्ष अनिल जैन,सचिन जैन, मधु जैन,, जैन भवन के प्रधान प्रवीण कुमार जैन इण्टर कालेज के प्रबन्धक संजय जैन, अजित जैन, अशोक जैन, राजेश जैन, अमित जैन, सुनील जैन, नीरज जैन, मनीष जैन, राजीव जैन,रमा जन , उमा जन , कमलेश जैन, सुमन जैन उपस्थित रहे।