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मुक्त विश्वविद्यालय दीक्षान्त समारोह: राज्यपाल ने 2256 छात्रों को उपाधियां प्रदान की

dehradun

जागर गायक प्रीतम भरतवाण को मानद उपाधि

देहरादून/हल्द्वानी। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षान्त समारोह पूरी भव्यता के साथ विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने समारोह में जागर लोक गायक प्रीतम सिह भरतवाण को मानद उपाधि एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम मे कुलपति द्वारा 2256 उत्तीय छात्रों को कुलाधिपति द्वारा उपाधियां प्रदान की और उन्हे दीक्षा भी दी। इस गरिमामयी कार्यक्रम मे प्रदेश के उच्चशिक्षा मंत्री डा0 धनसिह रावत भी बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। दीक्षांत समारोह में 7 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि भी प्रदान की। ऋतु नौटियाल तथा ममता कुमार को शिक्षक शिक्षा विभाग, विपिन चन्द्रा, आरती भटट, शिव प्रसाद जोशी को पत्रकारिता विषय,दिनेश चन्द्र कर्नाटक को हिन्दी विषय में तथा दीपक चन्द्र को समाज शास्त्र विषय मे पीएचडी की उपाधि दी गई। अपने सम्बोधन में कुलाधिपति मौर्या ने कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियो के जीवन का विशेष अवसर होता है। मै उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियो को हार्दिक बधाई देती हूं। उन्होने कहा कि दीक्षान्त आपकी जीवन यात्रा का महत्वपूर्ण पडाव है। भविष्य के जीवन की शुरूआत यही से होती है। यहां प्राप्त की गई हर उपलब्धि आगे की सफलताओ के लिए बहुमूल्य आधार है। मूझे विश्वास है कि आप सभी विद्यार्थी अपने उत्कृष्ट शिक्षा व आचरण से देश व समाज के लिए आदर्श स्थापित करेंगे। उन्होने कहा कि मुझे यह जानकर विशेष खुशी हुई है कि इस विश्वविद्यालय के 45 हजार विद्यार्थियों मे से बेटियों की संख्या लगभग 24 हजार है, जो कुल संख्या के पचास प्रतिशत से अधिक है। बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। यह देश के लिए शुभ लक्षण है। विश्वविद्यालय के 8 क्षेत्रीय केन्द्र तथा 246 अध्ययन केन्द्र है। विश्वविद्यालय कला विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन जैस पारम्परिक विषयों के साथ रोजगारपरक शिक्षा के कई पाठयक्रमों का भी संचालन कर रहा है। मौर्या ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो मे दूरस्थ शिक्षा का प्रसार एवं महत्व बढा है। दूर-दराज के क्षेत्रों मे रहने वाले विद्यार्थियों हेतु जिनके लिए नियमित विश्वविद्यालयों मे अध्ययन करना कठिन होता है, दूरस्थ शिक्षा एक आदर्श माध्यम है। अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण की ताज रिपोर्ट के अनुसार उच्च शिक्षा के कुल नामांकन 11 प्रतिशत दूरस्थ शिक्षा का है। दूरस्थ शिक्षा की सबसे बडी विशेषता यह है कि इसके दरवाजे सबके लिए खुले रहते है। ज्यादातर पाठ्यक्रमों के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नही होती। यहां न आयु का कोई बंधन है और न ही स्थान का। यह एक बहुत ही लचीली शिक्षण प्रणाली है। उन्होने कहा आधुनिक तकनीकी के द्वारा दूरस्थ शिक्षा के सभी पाठयक्रमों को लोकप्रिय बनाया जा रहा है। यह भी बहुत आवश्यक है कि विश्वविद्यालय अपनी पाठ्य सामग्री को लगातार अपडेट करें। इससे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम प्रासंगिक बने रहेंगे। उच्चशिक्षा मंत्री डा0 धनसिह रावत ने कहा प्रदेश मे उच्च शिक्षा को नये मुकाम दिये जायेगे, उच्चशिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का समावेश करते हुये युवाओं को स्वरोजगार से जोडने की दिशा मे प्रदेश सरकार काम कर रही है। उन्होने कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय मे प्रत्येक वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित कर उपाधियां दी जायेगी। धनसिह रावत ने कहा कि आगामी वर्ष से शिक्षक दिवस के अवसर पर उच्चशिक्षा के पांच प्रोफेसरो को भी उत्कृष्ठ कार्य के लिए डा0 भक्त दर्शन सिह की जयन्ती के अवसर पर सम्मानित किया जायेगा। उन्होने कहा जल्द ही प्रदेश में पंडित नैन सिह की मूर्ति भी बनाई जायेगी। रावत ने कहा कि हमारे प्रदेश मे कुमाऊनी एवं गढवाली भाषा विलुप्त की ओर है इसलिए सरकार जल्द ही उच्चशिक्षा में गढवाली एवं कुमाऊंनी अध्ययन केन्द्र खोलने जा रही है। उन्होने कहा प्रत्येक विश्वविद्यालय में संस्कृत, वेद एवं योग विषय अनिवार्य रूप से सरकार लागू करने जा रही है।

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