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दून लौटे अफगानिस्तान से : दिलों और आंखों में वहां के हालातों का खौफ जाने का नाम नहीं

देहरादून । अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद घर लौटे लोग वहां का मंजर देख अभी भी खौफ में हैं। यह ऐसे लोग हैं जो अपना सब-कुछ वहीं छोड़कर केवल जो कपड़े पहने थे, उन्हीं में घर लौट आए। उनका कहना है कि उस समय उनके मन में केवल जान बचाने की चिंता थी। क्योंकि, वहां हालात बहुत गंभीर हो चुके हैं। अफगानिस्तान में उत्तराखंड के साथ ही देहरादून के कई पूर्व सैनिक नौकरी करते हैं, जो दूतावासों और कंपनियों की सुरक्षा में तैनात थे। इसमें से देहरादून के गल्जवाड़ी के साथ ही केहरी गांव प्रेमनगर के एक महिला समेत चार लोग सुरक्षित लौट आए हैं।
इन लोगों के दिलों और आंखों में वहां के हालातों का खौफ जाने का नाम नहीं ले रहा है। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो अपनी जान बचाने के लिए अपना सब कुछ यहां तक कि वीजा, कपड़े, पैसे और अन्य डॉक्यूमेंट वहीं छोड़कर आ गए। वह भगवान का शुक्र तो मना ही रहे हैं, साथ ही ब्रिटिश एंबेसी का भी आभार जता रहे हैं। जिन्होंने समय रहते उन्हें वहां से सुरक्षित भेज दिया। अब वह अभी भी वहां फंसे अपने साथियों को लेकर चिंतित हैं। वह उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। जोहड़ी गांव निवासी अजय कुमार थापा, दीपक कुमार, पूरन थापा और प्रेम कुमार अफगानिस्तान में ब्रिटिश एंबेसी में काम करते थे। उन्होंने बताया कि 14 अगस्त की शाम को ब्रिटिश एंबेसी ने तालिबानियों के मंसूबों को भांप लिया था। इसलिए उन्होंने सभी कर्मचारियों को टिकट पकड़ाकर वहां से निकलने की तैयारी करने को कहा। निर्देश दिए थे कि सभी केवल एक ही बैग साथ लाएंगे। जिसमें उनके पासपोर्ट, वीजा और अन्य जरूरी दस्तावेज शामिल हों। कहा कि इसके बाद एंबेसी की ओर से तत्काल सभी कर्मचारियों को एयरपोर्ट पहुंचाया गया। वहां से पहले दुबई और फिर लंदन के बाद भारत भेजा गया। उन्होंने बताया कि जब वह वहां से निकले तो चारों तरफ गोलियां चल रही थीं। जिस बस में वह एयरपोर्ट पहुंचे उसे स्थानीय लोगों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन सेना ने उन्हें वहां से सुरक्षित एयरपोर्ट तक पहुंचाया।

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