जरा हटके : यमुनोत्री में निर्दलीयों का रहा ज्यादा वर्चस्व
उत्तरकाशी। उत्तराखंड बनने के बाद प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने किसी पार्टी विशेष को नहीं बल्कि प्रत्याशी के चेहरे को तवज्जो दी है। यहां उत्तराखंड बनने के बाद से हुए विधानसभा चुनाव में दो बार निर्दलीय तथा एक-एक बार यूकेडी, कांग्रेस और भाजपा ने जीत दर्ज की। यमुनोत्री विधानसभा में अब तक निर्दलीय उम्मीदवारों का ज्यादा बर्चस्व रहा है। उत्तराखंड बनने के पहली बार प्रदेश में वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें यमुनोत्री विधानसभा से उक्रांद के प्रीतम सिंह पंवार ने व्यक्तिगत छवि के कारण भाजपा व कांग्रेस पार्टी प्रत्याशियों को हराकर जीत हासिल की थी तथा विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 में कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी केदार सिंह रावत ने जीत दर्ज की थी। जबकि वर्ष 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रीतम सिंह पंवार फिर से विधायक बने और वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ कर केदार सिंह रावत विधायक बने। और अब इस समय 2022 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में संजय डोभाल ने भी व्यक्तिगत छवि के जीत हासिल की।
संजय डोभाल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उस समय उन्हें सफलता नही मिल पाई थी। इस बार वह कांग्रेस के टिकट के लिए वह प्रबल दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने एन वक्त पर यमुनोत्री विधानसभा से जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को टिकट दे दिया। क्षेत्र में संजय डोभाल की अच्छी पैठ होने के कारण वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और मतदाताओं ने उन पर भरोसा जता कर उन्हें विधायक बना कर विधानसभा पहुंचाया है। निर्दलीय उम्मीदवार संजय डोभाल ने कांग्रेस प्रत्याशी को 6689 मतों के भारी अंतर से हरा कर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को यहां संजय डोभाल से आधा से भी कम वोट पड़े हैं।