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जन जागरूकता से ही होगा स्वच्छ भारत का निर्माणः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश । परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय ’लीव नो वन बिहाइंड वैश्विक शिखर सम्मेलन’ का समापन हुआ इस अवसर पर  छः धर्मो के धर्मगुरूओं यथा हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म, इस्लाम धर्म और क्रिश्चियन धर्म ने सहभाग किया। इस शिखर सम्मेलन में देश के लगभग 20 राज्यों से आये प्रतिभागियों ने स्वच्छता, स्वच्छ जल, शौचालय, मासिक धर्म सुरक्षा, तरल और ठोस कचरा प्रबंधन जैसे विषयों जमीनी समस्याओं को प्रस्तुत किया। विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं ने भी अपने विचार और फेथ इन एक्शन के माध्यम से समाधान प्रस्तुत किये। विभिन्न धर्मो के धर्मगुरूओं ने हरित और सुन्दर विश्व के निर्माण हेतु एकजुट होने के संकल्प के साथ अपने हाथांे के छाप देकर एकजुटता का संदेश दिया। लीव नो वन बिहाइंड वैश्विक शिखर सम्मेलन में अपने देश को स्वच्छ करने के लिये क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम सभी स्वच्छता के रंग में रंगे नजर आ रहे थे। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग यहां पर रिलिजन नहीं बल्कि स्वच्छता के रीजन के लिये एकत्र हुये है। जीवा, डब्ल्यूएसएससी और फेेेन्सा के अधिकारियों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं के विषय में जानकारी दी। साथ ही 2020 की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा रिपोर्ट तैयार की ताकि ’’लीव नो वन बीहाइंड’’ तथा भारत सरकार के ओडीएफ प्लस के मौजूदा लाॅच को पूर्ण सहयोग किया जा सके। लीव नो वन बिहाइंड शिखर सम्मेलन में युवा, महिलायें, बच्चे, दलित, आदिवासी, ट्रांसजेंडर और लेस्बियन, प्रवासियों, शहरी गरीब, विकलांग लोग,  बुजुर्ग, किशोर, किसान और भ्प्ट से पीड़ित लोग, झोंपड़ीवासी, बेघर, मैला ढोने वाले, यौनकर्मी आदि को भारत के विभिन्न राज्यों से 250 से अधिक लोगो को आंमत्रित किया गया है। तीन दिनों तक उन्हें वाॅटर, सैनिटेशन और हाइजीन, मासिक धर्म स्वच्छता, स्वास्स्थ्य, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (जैविक, प्लास्टिक, ग्रे वॉटर और मल, कीचड़ प्रबंधन) प्रशिक्षित किया गया तथा उनसे तीन दिवसीय सम्मेलन के माध्यम से जो ग्रहण किया उस की रिपोर्ट प्रस्तुत की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की संकल्पना को साकार किया है। इस अभियान ने समग्र और उल्लेखनीय परिवर्तन किये है। महात्मा गांधी जी ने स्वच्छता के महत्व को समझाते हुये कहा था कि ’स्वच्छता, स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है।’ उन्होने यह भी संदेश दिया कि सभी को अपने शौचालय की सफाई स्वयं करनी चाहिये। स्वच्छता न केवल उत्तम स्वास्थ्य के लिये जरूरी है बल्कि एक सम्मानजनक जीवन के लिये भी आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के लिये बहु आयामी प्रयास किये है अब जनसमुदाय का कर्तव्य है कि वे अंगीकार करे और देेश को स्वच्छ रखने में मदद करे क्योकि जमीनी स्तर पर परिवर्तन जन जागरूकता के माध्यम से ही हो सकता है।

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