खिलाड़ी वीरेंद्र सिंह रावत पहुँचे गाँव, कही यह बात , जानिए खबर
पौड़ी / देहरादून | उत्तराखंड के प्रसिद्ध पूर्व फुटबाल खिलाडी, वर्तमान नैशनल कोच, क्लास वन रेफरी, अनगिनत अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्टेट अवार्ड से सम्मानित, उत्तराखंड आंदोलनकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, युवा नेता ने उत्तराखंड के पौड़ी जिले के अपने गांव कुलासू विरेन्द्र सिंह रावत ने आस पास के गांव मे एक सप्ताह व्यतित किए और वहा के प्यारे उत्तराखंड के युवा, महिलाओं, बुजुर्गों बच्चों के साथ खेल खेला फुटबाल, क्रिकेट, रेस, बोलीबाल, गुली डंडा, डांस, ढोल दमू, खेती, मीटिंग, गांव की शादी का आंनद आदि बहुत कुछ सीखा और बहुत कुछ अपना अनुभव बताया लेकिन सच्चाई सामने आती है जब कोई गरीब, मजबूर, असहाय लोगों की पीड़ा, दर्द सुनी और देखी तो अपने आंसू नहीं रुके | वीरेंद्र रावत कहा कि लेकिन आज भी उत्तराखंड को बने 20 साल हो गए पर विकास के नाम पर किसी भी सरकार ने कोई विकास नहीं किया आज असुविधा से मजबूर लोग है एक साल पहले रोड बनाने के लिए सरकार को पत्र भेजा था कि 12 किलोमिटर रोड बनाई जाए जिसकी खस्ता हाल है जहा पैदल चलने के लिए भी बहुत परेशानी है, लेकिन आज तक नहीं बनी है रोड पर लाइट नहीं है, बिजली का बिल भी देहरादून के शहर की तरह बिल आता है कोई छूट नहीं है चिकित्सा की कुछ भी सुविधा नहीं है गांव के पीड़ित ( बीमार) आदमी को 12 किलोमीटर पैदल चलकर काम चलाऊ हॉस्पिटल है नहीं तो सतपुली जाना होता है 50 किलोमीटर वहा भी सुविधा ना मिले तो मजबूर होकर देहरादून आना होता है,
कई लोगों ने चिकित्सा ना मिलने के कारण अपने प्राण त्याग दिए हैं शिक्षा के लिए प्राइमरी स्कूल तक नहीं है जबकि गांव मे 300 के लगभग लोग रहते है, युवा बेरोजगार है उनके लिए कोई योजना नहीं है, पलायन तो होगा ही, रोजगार ना मिलने के कारण युवा नशे में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है, खेल की अनगिनत प्रतिभा है लेकिन उनके लिए भी कोई भी सुविधा नहीं है, बुजुर्ग लोग बहुत है जिनके लिए कोई भी वृद्ध पेंशन नहीं है, बहुत महिलाओं और पुरूषों ने अपनी पीड़ा विरेन्द्र सिंह रावत को सुनाई और रावत ने सभी को आश्वासन दिया कि आपका दर्द सरकार तक जरूर पहुंचाएंगे जिससे आपको पीड़ा का निवारण हो सके, बंदरों और सुवर ने सारे खेत बंजर कर दिए है, बाघ ( शेर) का खतरा हमेशा बना रहता है हर कोई इंसान अंधेरे होने से पहले अपने घर मे दुबक जाता है डर इतना है कि ना जाने कब बाघ आ जाये पता नहीं , दुर्घटना हम ने भी झेली इस दौरान हमने भी एक दो बार बाघ को देखा, गांव मे हमेशा दहशत रहती है रावत ने गांव मे एक बहुत बेह्तरीन चीज़ देखी जो दुनिया मे कहीं नहीं मिलती एक रिश्तेदार धर्म सिंह नेगी के पुत्र अंकित की शादी मे जाना हुआ शादी मे एक सप्ताह से गांव के जितने भी लोग होते है उनको दिन और रात का खाना खुद गांव के महिला, पुरुष मिलकर बनाते थे कोई हलवाई की जरूरत नहीं होती सभी लोग मिलकर खाना बनाते है, रोटी, चावल, दाल आदि गांव के खाने को खुद बनाते है हम ने भी खूब रोटी आदि खाने की चीज़ बनाई लकड़ी के चूल्हे पर और एकता का परिचय दिया गांव की शादी की बरात का भी आनंद लिया, बच्चों, बुजुर्ग, युवा 5 साल से 75 साल के साथ खूब फुटबॉल और क्रिकेट खेला और उनको खेल के प्रति जागरूक किया और नशे से दूर रहने के लिए समझाया खिलाडियों को ड्रेस, फुटबाल, टोफ़ी, मूँगफली सहयोग राशि भी प्रदान की गई |