उत्तराखंड : मंत्री प्रसाद नैथानी ने शुरू की “काम की बात”
देहरादून | आज से “काम की बात” के प्रथम चरण में पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी जी ने प्रदेश में संस्कृत भाषा के उन्नयन की दशा और दिशा को लेकर अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किन्तु वर्तमान सरकार इस विषय पर मौन बैठी है। संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए प्रदेश में संस्कृत अकादमी, संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृत निदेशालय एवं केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग स्थापित किए गए हैं किन्तु आज संस्कृत के उन्नयन के चारों स्तम्भ धराशाई होने की कगार पर हैं। वर्तमान सरकार ने संस्कृत का प्रचार प्रसार करने वाली संस्कृत अकादमी को विकसित करने के बजाय उसका बजट ही कम कर दिया है जिसके कारण संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित ब्लाक स्तरीय संस्कृत छात्र प्रतियोगिताएं, राज्यस्तरीय संस्कृत नाटक, संस्कृत संगोष्ठी, संस्कृत यात्राएं नहीं कर पा रही हैं। यहां तक कि कैलेंडर और डायरियां आदि भी नहीं छाप पा रही हैं।
साथ ही संस्कृत विश्वविद्यालय में भी रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा रखा है जिससे संस्कृत शिक्षा प्राप्त बेरोजगार दर-दर भटक रहे हैं। संस्कृत निदेशालय का भवन अभी तक नहीं बन पाया साथ ही संस्कृत के सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ाने वाले तदर्थ शिक्षकों को कई महीनों से वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। संस्कृत के उन्नयन के लिए हमारे कार्यकाल में एक्ट बनाया गया था जिसमें कुछ त्रुटी होने के कारण संशोधन के लिए विनियम बनाया गया था जिसे वर्तमान सरकार द्वारा अभी तक स्वीकृत नहीं किया गया। जिससे संस्कृत शिक्षा के नए विद्यालयों को खोलने में विलम्ब हो रहा है।
अपने कार्यकाल में देवप्रयाग में स्थापित किया राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान : नैथानी
मैंने जून 2016 में अपने कार्यकाल में देवप्रयाग में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान खुलवाया था। यहां पर छात्रावास में 600 छात्र छात्राओं के रहने की व्यवस्था का प्रावधान है। जिसके लिए 500 करोड़ रुपए के एवज में 100 करोड़ रुपए का बजट भी मिला था। अब भवन निर्माण के लिए पैसा नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण छात्रावास का निर्माण एवं पठन-पाठन हेतु भवन निर्माण अधर में लटके पड़े हुए हैं। संस्कृत संस्थान में कक्षा 11 से प्रवेश प्रारंभ की प्रक्रिया बनाई गई है तथा शास्त्री एवं आचार्य एवं शोध कार्य तक संस्थान में किया जाएगा। जिसके अन्तर्गत कक्षा 11 और 12 के लिए छात्रवृति ₹600 प्रति माह प्रति छात्र, शास्त्री के लिए छात्रवृत्ति ₹800 प्रति माह प्रति छात्र, आचार्य के लिए छात्रवृत्ति ₹1000 प्रति माह प्रति छात्र तथा शोध कार्य के लिए छात्रवृत्ति ₹8000 प्रति माह प्रति छात्र दिए जाने का प्रावधान है। विगत 4 वर्षों से अब तक 100 छात्र- छात्राएं वहां पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। साथ ही वहां पर पढ़ाने वाले प्रवक्ता अतिथि शिक्षक को मात्र 40000 एवं अन्य अध्यापकों को ₹60000 प्रदान किया जा रहा है जो बहुत कम है। साथ ही उनके भविष्य क्या होगा यह पता नहीं। इस संस्कृत संस्थान को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाए जाने के लिए वर्तमान केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी को धन्यवाद देता हूं साथ ही निवेदन करता हूं कि इसमें पढ़ाने वाले प्रवक्ताओं अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया जाए एवं उन्हें नियमित किया जाए। उनसे संस्थान के रुके पड़े निर्माण कार्यों के लिए बजट का प्रावधान किया जाए। इस प्रकार से संस्कृत शिक्षा के उन्नयन के लिए सरकार गंभीर नहीं है जिसके कारण उत्तराखंड राज्य संस्कृत शिक्षा की उन्नति के विकास की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है। कांग्रेस इस विषय पर सरकार से कार्रवाई कर समाधान करने की मांग करती है।