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सराहनीय : जय शर्मा ने उठाया कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की परवरिश करने का बीड़ा

देहरादून । कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की परवरिश करने का बीड़ा देहरादून के जय शर्मा ने उठाया है। अनाथ बच्चों को उनकी ओर से शिक्षा और राशन मुहैया करवा जा रहा है। 21 साल के सामाजिक कार्यकर्ता शर्मा ने कोविड अनाथ बच्चों की पीड़ा को करीब से समझते हुए उनकी मदद को हाथ आगे बढ़ाया है। शर्मा ने अभी तक 28 कोविड अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी ली है। शर्मा ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ)‘जॉय’ (जस्ट फॉर यूररशेल्फ) बनाकर ऐसे अनाथ बच्चों की मदद कर रहे हैं जिनके माता-पिता का कोरोना संक्रमण की वजह से देहांत हो गया है। उन्होंने अभी तक कोविड संक्रमण की वजह से अनाथ हुए 28 बच्चों का जिम्मा लिया है, लेकिन उन्होंने आने वाल समय में करीब 100 अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी लेंगे। केदारनाथ में 2013 में हुई आपदा के बाद शर्मा ने आपदा प्रभावित गांव में राहत सामाग्री, राशन आदि मुहैया करवाया था। ‘जॉय’ के बारे  में जानकारी देते हुए शर्मा कहते हैं कि उनके कई दोस्त और रिश्तेदार विदेशों में रहते हैं, जो समय-समय पर डोनेशन देकर उनकी मदद करते रहते हैं। शर्मा के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर में रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी आदि जिलों में खाने-पीने की चीजें, सैनिटाइजर सहित अन्य राहत सामग्री बांटी गई थीं। इसी के दौरान, उन्हें संक्रमण की वजह से अनाथ हुए बच्चों के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि तभी से उन्होंने ऐसे अनाथ बच्चों की मदद करने की ठान ली थी। वह और उनके सहयोगी अनाथ बच्चों की जानकारी जुटाई ताकि प्रभावित बच्चों को शिक्षा और खाना दिया जा सके। उनके अनुसार, जांच में सामने आया है कि कोरोना संक्रमण की वजह से कई गांवों में करीब 100 बच्चे अनाथ हो गए थे। जांच-पड़ताल के बाद, 28 बच्चों की खाने और शिक्षा की जिम्मेदारी ली गई है। पेशे से इंजीनियर शर्मा बताते हैं कि उनका मकसद अनाथ बच्चों को शिक्षा और घर में राशन पहुंचाना है ताकि उन्हें किसी भी तरह से कोई परेशानी न हो। 28 अनाथ बच्चों में से अधिकांश बच्चे रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में से हैं, जिनके माता-पिता का कोरोना संक्रमण की वजह से देहांत हो गया है। बताया कि अनाथ बच्चों में से आठवीं से ग्रेजुऐशन प्रथम वर्ष की क्लास के बच्चे शामिल हैं। शर्मा ने बताया कि यूएस की एक कंपनी से 100 टैबलेट्स देने की बात चल रही है ताकि अनाथ बच्चों की शिक्षा जारी रह सके और वह ऑनलाइन क्लासेज में जुड़ सकें।

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