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मजदूरी करने वाली माँ के बेटे ने खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनायी जगह

surajpanwar

राजधानी देहरादून के शिमला बाइपास स्थित कारबारी गांव निवासी सूरज ने महज तीन सालों के करियर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को पहुंचा दिया है । गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले सूरज के पिता का स्वर्गवास हुए कई वर्ष बीत चुके हैं। मां पूनम पंवार ने मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण किया। तीन भाइयों में सबसे छोटे सूरज ने कभी धावक बनने की नहीं सोची थी लेकिन 17 वर्षीय सूरज ने 2013-14 में एथलेटिक्स सीखना शुरू किया। मात्र तीन सालों के कॅरियर में उत्तराखंड के उभरते वॉक रेसर सूरज पंवार ने अपने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जगह पक्की कर ली है। एशियन यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए चुनी गई एथलेटिक्स फेडरेशन द्वारा भारतीय टीम में सूरज को शामिल किया गया है। उत्तराखंड से एकमात्र खिलाड़ी सूरज भारतीय टीम में है जो एशियन यूथ चैंपियनशिप में दमखम दिखाएगा। हाल ही में हैदराबाद में संपन्न हुई नेशनल यूथ एथलेटिक्स मीट में सूरज ने 10 हजार मीटर वॉक रेस में 45 मिनट 35 सेकंड में नए रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता था। इसी प्रतियोगिता के आधार पर एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने एशियन यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए 37 सदस्यीय भारतीय टीम का चयन किया जो 20 से 23 मई तक बैंकॉक थाइलैंड में आयोजित होने वाली प्रतियोगता में प्रतिभाग करेगी।

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