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‘ब्लड मनी’ द्वारा 17 भारतीय कैदियों को रिहा करा चुके है सरदार एसपी

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एसपी सिंह ओबेरॉय , 59 साल के ओबेरॉय दुबई में बिजनेसमैन हैं। वे यूएई की जेलों में बंद मौत की सजा पाने वाले 54 दोषियों को बचा चुके हैं। अब वे 30 और कैदियों को जेलों से निकालने का प्रयास कर रहे हैं। वे 17 भारतीय कैदियों को जेल से छुड़ाने के लिए अब तक 3.4 मिलियन दिरहम (5.7 करोड़ रुपए) की ब्लड मनी दे चुके हैं। ब्लड मनी शब्द का मतलब है उस परिवार को दिया जाने वाला मुआवजा, जिसके सदस्य की दोषी द्वारा हत्या की गई हो। जनवरी 2009 में जब पहली बार उन्होने एक मौत की सज़ा पाए भारतीय के बारे मे सुना तो उनको पहला ख्याल आया कि पंजाब में उस व्यक्ति के परिवार पर क्या बीत रही होगी। उसके घर का माहौल कितना तनावपूर्ण होगा। तब उन्होंने इस मामले को अपने हाथ में लेने का फैसला किया। पंजाब के रहने वाले एसपी सिंह ओबेरॉय ने अपने काम की शुरुआत 1970 में मैकेनिक के तौर पर की। 1975 के बाद वे मैटेरियल सप्लाई और कन्स्ट्रक्शन के बिजनेस से जुड़ गए। 18 साल की कड़ी मेहनत के बल पर आज उनके पास दुबई ग्रैंड होटल और एपेक्स ग्रुप ऑफ कंपनीज है। यहीं नहीं, वे अब दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा में रहते हैं। ओबेरॉय भारतीय कैदियों की मदद के लिए अक्सर यूएई के जेलों के चक्कर लगाते रहते हैं। इसी दौरान वे एक घटना का जिक्र करते हुए ओबेरॉय कहते हैं, “यूएई में 17 भारतीय कैदी जेल में बंद थे। मैंने उनको मां-बाप से मिलाने की व्यवस्था की। ओबेरॉय के पास एक लंबी कॉन्टेक्ट लिस्ट हैं। इसकी मदद से वे सभी छूटे हुए कैदियों से लगातार संपर्क में रहते हैं। यदि उनके पास समय होता है तो भारत में उनसे मिलने चले आते हैं। वे हमेशा छूटने वाले कैदियों को अहसास दिलाते हैं कि अपराध के कारण उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। क़ैदी इस के बाद वापिस मेहनत के दम पर कमाने की कोशिश करते हैं.. और मई इस महान आदमी को सलाम करता हू जो उनको काम ना मिलने पर अपनी ही कंपनी मे रोज़गार भी उपलब्ध करवा देते हैं | उनका ट्रस्ट सरबत दा भला अब तक 18 हजार से ज्यादा सिख, हिंदू, मुस्लिम समुदायों में कई बार सामूहिक शादियां करा चुका है। वर्तमान में वे आर्थिक रूप से कमजोर 425 छात्रों की मदद करते हैं और कई अस्पतालों को दान देते हैं। वे बुजुर्ग कैंसर पीड़ितों के लिए घर बनवा रहे हैं। ऐसे बुजुर्ग, जिनके बच्चे उन पर ध्यान नहीं देते हैं, वे उनका ख्याल रखने की व्यवस्था करते हैं।

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