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फेक आईडी के प्रति रहें सचेतः डीआईजी

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देहरादून। क्राइम ब्रांच, क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीबीसीआइडी) के डीआइजी पुष्पक ज्योति ने कहा कि बाहर से आ रहे अनजान, अजनबी लोगों के सत्यापन में विभिन्न स्तर पर बरती जा रही कोताही ने बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के प्रति भी अपराध को बढ़ावा दिया है। इससे पुलिस के सामने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के मद्देनजर भी चुनौती बढ़ी है। पुलिस खासकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के प्रति होने वाले अपराध के प्रति बेहद गंभीर रहती है। दून शहर में महिलाएं देर रात तक बाजार में खरीदारी करते, घूमते और गली मोहल्लों में बेखौफ टहलती नजर आती हैं, पुलिस की सक्रियता और पुलिस पर लोगों का ऐतबार भी कहीं न कहीं इसकी एक वजह है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि सुरक्षा और अपराध को लेकर आमजन भी सतर्क रहें। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर डीआईजी पुष्पक ज्योति कहते हैं कि बदलते परिवेश में महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध में बढ़ोतरी हुई है। आपराधिक तत्वों से निपटने को पुलिस चैबीसों घंटे तत्पर रहती है। महिलाओं को भी खुद की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने महिलाओं से यह भी अपील की कि संदिग्ध नजर आने वाले व्यक्तियों, आपराधिक तत्वों के प्रति सतर्क रहें और इस तरह के लोगों के खिलाफ दृढ़ता दिखाएं। घर या बाहर किसी की भी हरकत संदिग्ध लगने पर शोर मचायें और पुलिस को सूचित करें। अकेले होने पर साथ में लाल मिर्च का पाउडर जरूर रखें, छेड़छाड़ या दूसरी तरह का अपराध करने वाले की मंशा को भांपते हुए आपराधिक तत्वों की आंखों में मिर्च फेंक दें। उन्होंने कहा कि घर में अकेले होने पर किसी अजनबी मैकेनिक, बिजली, टीवी, पानी का कनेक्शन या दूसरे किसी यंत्र की रिपेयरिंग करने वालों, बिजली मीटर रीडर और अन्य अनजान व्यक्तियों को अंदर न आने दें। मीटर रीडर आदि का आईकार्ड मांगकर उसे जरूर जांच-परख लें। घर या बाजार से ऑटो या टैक्सी कर रहे हों तो चालक का फोटो और वाहन नंबर अपने परिचितों को वाट्स ऐप कर लें। इस बात का आभास वाहन चालक को जरूर करा दें, ताकि वह कोई अपराध करने की सोच रहा हो तो इसकी हिम्मत ही न जुटा पाए। डीआईजी पुष्पक ज्योति ने कहा कि आजकल फेक आईडी से भी कुछ लोग युवतियों-महिलाओं को अपने जाल में फंसा रहे हैं। महिलाओं-युवतियों के प्रोफाइल या अन्य छद्म नामों से फेक आईडी बनाकर तमाम पुरुष उनसे दोस्ती गांठकर अपराध करते हैं। उनका कहना कि अजनबियों से भी फेसबुक, वाट्स ऐप या अन्य सोशल मीडिया पर नजदीकी न बढ़ाएं। आपराधिक और विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति बच्चों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाते हैं। ऐसे में बच्चों को अपराध और अपराधियों से बचाने के लिए सबसे ज्यादा भूमिका माता-पिता और अन्य अभिभावकों की हो जाती है। घर से लेकर स्कूल तक बच्चों की सुरक्षा के जरूरी कदम उठाएं। पुलिस ने भी प्रदेश भर की तरह दून शहर के भी तमाम स्कूलों के प्रबंधन के साथ बैठक कर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं।

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