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पानी बचाने के लिए , 84 साल का ‘नौजवान’ लगा रहा जी-जान

मुंबई | 84 साल के एक नौजवान हर रविवार की सुबह मुंबई के उपनगर मीरा रोड की सड़कों पर निकलते हैं। जब लोग छुट्टी के आलस में होते हैं, तब वह किसी सोसायटी में घुसकर हर फ्लैट की घंटी बजाते हैं। उनके साथ एक प्लंबर और एक वॉलंटियर होता है। वह हर फ्लैट के नल चेक करके उनकी मरम्मत कराते हैं। इस तरह बूंद-बूंद टपकता पानी बचाकर उन्होंने पिछले 12 साल में करीब 3 करोड़ लीटर पानी को बर्बाद होने से बचाया है। वह शख्स हैं आबिद सुरती। लेखक, नाटककार, पटकथाकार, कार्टूनिस्ट, चित्रकार, पत्रकार और पर्यावरणविद आबिद सुरती। वह 80 साल की उम्र तक 80 किताबें लिख चुके हैं। उन्होंने भारत को पहला सुपर हीरो बहादुर दिया और लाखों-करोड़ों लोगों की होठों पर मुस्कान लाने वाला किरादार ढब्बूजी भी रचा। 12 साल पहले की बात है। आबिद अपने दोस्त के घर गए, तो वहां एक नल से पानी टपकता देखा। उन्होंने अंदाजा लगाया कि एक महीने में एक हजार लीट पानी इसी टप-टप में बह जाता होगा। बस उसी दिन ठान लिया कि यह टप-टप रोकनी है। आबिद कहते हैं, ‘मैं बेहद मामूली जगहों पर रहा हूं। वहां मैंने जरा से पानी पर लोगों को किट-किट करते देखा है। इसलिए मैं पानी बचाने में जुट गया।’ उनका कहना है, ‘मैं गंगा को तो नहीं बचा सकता, लेकिन पानी की बर्बादी तो रोक ही सकता हूं।’ आबिद ने मुहिम शुरू करने के लिए एक बूढ़े प्लंबर से पूछा था, ‘मैं हर रविवार को तीन घंटे तक लोगों के घर जाकर उनके नल मुफ्त में दुरुस्त कराऊंगा। आप इस काम के कितने पैसे लोगे?’ प्लंबर सिर खुजाते हुए बोला था, ‘जब आप किसी से इस काम के पैसे नहीं लोगे, तो मैं आपसे कैसे लूंगा?’ आबिद ने इस काम के लिए वन मैन एनजीओ ‘ड्रॉप डेड फाउंडेशन’ बनाया। आबिद बताते हैं, ‘बहुत से लोग मेरे एनजीओ से जुड़ना चाहते हैं। मैं उनसे कहता हूं कि यह तो वन मैन एनजीओ है, आप भी इसी तरह काम शुरू कर दो। जगह-जगह बहुत से लोग ऐसा करने भी लगे हैं।

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