नेशनल हॉकी खिलाड़ी कुली बन चला रहा घर का खर्च
अंबाला। बचपन से लेकर जवानी तक हर खिलाडी देश का नाम ऊचा करना और अपने खेल को दिनरात एक कर उसे मुकाम पर पहुचना उनकी पहली प्राथमिकता होते है खेल के अलावा वह किसी और दुनिया के बारे में नहीं सोचते है चाहे| लेकिन नेशनल वर्ग स्तर का एक खिलाड़ी आज दूसरी दुनिया के बारे में सोच रहा है | अंबाला के तारा सिंह ने नेशनल लेवल पर हॉकी खेलते हुए कई मेडल जीते और हॉकी को इन्होंने अपनी जिंदगी के कई साल दिए। जिले स्तर से लेकर नेशनल लेवल तक हॉकी में बुलंदियों को छुआ लेकिन सरकारी सिस्टम में फंसकर उनका पूरा जीवन आर्थिक तंगी में फंस गया। तारा सिंह ने बताया कि उन्हें सरकार की ओर से सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया था पर कई सालों बीत जाने के बाद केवल दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं पर नौकरी नहीं मिली।जब सरकार से कोई सहायता नहीं मिली तो अंत में आखिरकार परिवार का भरण पोषण के लिए तारा सिंह अंबाला के केंट रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने लगे, इतना सब कुछ सहने के बाद भी तारा की हॉकी से मोह भंग नहीं हुआ है। तारा का कहना है कि अपने बच्चों को हॉकी खेलने के लिए रोज शाम बच्चों के स्टेडियम ले जाता हूं और उनसे हॉकी सीखने को कहता हूं तो बच्चे पूछते हैं, हॉकी खेलकर क्या होगा आपकी तरह मजदूरी करनी होगी, तब तारा सिंह और उनके भाइयों की आंखें से आंशु गिरने लगते हैं।खिलाड़ी की होने की बात पर हंसते हैं लोग नेशनल खिलाड़ी से कुली बन चुका तारा सिंह किसी को अपने खिलाड़ी होने की बात बताता है तो लोग हंसते हैं। आर्थिक रूप ने इस तरह से तारा सिंह को जकड़ा उनका हौसला जवाब दे गया लेकिन फिर भी वह आज अपने सपने को बेटे के द्वारा पूरा करना चाहते है | सरकार आखिर ऐसे खिलाड़ियों की सूद क्यों नही लेती है |