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नाबार्ड ने उत्तराखंड राज्य के लिए इस वर्ष में 2554.53 करोड़ की वित्तीय सहायता की प्रदान

 

देहरादून | नाबार्ड ने उत्तराखंड राज्य के लिए वर्ष 2020-21 में 2554.53 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की
वर्ष 2020-21 के दौरान, नाबार्ड उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा उत्तराखंड राज्य को 2554.53 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई जिसमें 2545.50 करोड़ रुपए का ऋण तथा 9.03 करोड़ रुपए का अनुदान शामिल है जो पिछले वर्ष की सहायता 2240.30 करोड़ रुपए से 14.03% अधिक है। सहायता का मुख्य हिस्सा 1352.86 करोड़ रुपए विभिन्न बैंकों को पुनर्वित्त के लिए दिया गया जिसमें 926.25 करोड़ रुपए अल्प कालीन पुनर्वित्त, 426.61 करोड़ रुपए दीर्घकालीन पुनर्वित्त एवं 655 करोड़ रुपए उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक और उधम सिंह नगर जिला सहकारी बैंक को सीधी पुनर्वित्त सहायता के रूप प्रदान की गई।  आधारभूत ढांचा विकास निधि (आरआईडीएफ) और वेयर हाउस ढांचा निधि (डब्ल्यू आई एफ) के तहत राज्य सरकार को 527.32 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई। वर्ष 2020-21 के दौरान नाबार्ड द्वारा आरआईडीएफ एवं माइक्रो इर्रिगेशन फ़ंड के अंतर्गत 194 नए प्रोजेक्ट्स स्वीकृत किए गए। अब तक कुल मिलाकर, नाबार्ड द्वारा आरआईडीएफ ट्रांच -XXVI (2020-21) तक राज्य सरकार को आरआईडीएफ के अंतर्गत 9498.72 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया है तथा 7919.60 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया है। नाबार्ड ने पहली बार माइक्रो इर्रिगेशन फ़ंड (प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना) के अंतर्गत 14.85 करोड़ का ऋण उत्तराखंड राज्य के विभिन्न जिलों के 163 चाय बागानों में सिंचाई और फर्टिगेशन मैनेजमेंट के लिए स्वीकृत किया है। नाबार्ड ने उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन लि. (PTCUL) को 400 KV DC लाइंस के 02 प्रोजेक्ट के लिए 82.32 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया है इस वर्ष PTCUL को 10.32 करोड़ का ऋण नाबार्ड इनफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट सहायता (NIDA) से जारी किया गया।
आरआईडीएफ के अंतर्गत राज्य सरकार को स्वीकृत प्रोजेक्ट्स के धरातल पर आने से सिंचाई के लिए 1.96 लाख हेक्टेयर, सड़क नेटवर्क के लिए 13862 कि.मी., पुलों के लिए 26902 मीटर की क्षमता विकसित हुई है। 23.77 लाख ग्रामीण जनसंख्या को पेयजल प्रोजेक्ट्स एवं 206 स्कूल / आईटीआई बनने से लाभ हुआ है। इन प्रोजेक्ट्स के कारण ग्रामीण जनसंख्या के लिए ठोस क्रेडिट अवशोषण क्षमता बढ़ी है।
नाबार्ड उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय ने बैंकों/ एनजीओ / प्रोड्यूसर संस्थानों/ कृषि विज्ञान केन्द्रों / विश्वविदयालयों, इत्यादि को प्रोमोशनल पहलों यथा वित्तीय समावेशन फ़ंड, एसएचजी/ जेएलजी के प्रोन्नति हेतु, वॉटर शेड विकास निधि, आदिवासी विकास निधि, ग्राम्या विकास निधि, उत्पादक संस्थान विकास फ़ंड, सहकारी विकास निधि, उत्पादक संस्थान विकास एवं उत्थान कोष तथा अनुसंधान और विकास फ़ंड के अंतर्गत अनुदान सहायता जारी की।
नाबार्ड की कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु स्कीमों के तहत वर्ष 2020-21 के दौरान्न आदिवासी विकास निधि के अंतर्गत देहरादून जिले के चकराता विकासखंड में एक नया प्रोजेक्ट जिससे 120 किसानों को लाभ होगा और टिहरी गढ़वाल जिले में स्प्रिंग शेड के विकास के लिए 02 नए प्रोजेक्ट्स जिनसे 16 गावों का 600 हेक्टेयर क्षेत्र लाभान्वित होगा, स्वीकृत किए हैं। यह पहले से चल रहे 12 प्रोजेक्ट्स (देहरादून तथा पिथौरागढ़ जिले में एक- एक टीडीएफ; रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल जिलों में 4000 हेक्टेयर क्षेत्र के उपचार हेतु जिससे 40 गावों के 1482 लोगों को फायदा होगा; अल्मोड़ा व बागेश्वर जिलों में 1200 हेक्टेयर क्षेत्र में मृदा एवं जल उपचार संबंधी दो प्रोजेक्ट्स तथा एकीकृत जल प्रबंधन स्कीम के तहत चमोली व बागेश्वर जिलों के 10 गांवों में चल रहे प्रोजेक्ट्स) के अतिरिक्त है। इस वर्ष नाबार्ड ने एक नवाचार से संबन्धित प्रोजेक्ट – “ब्लॉक चेन कान्सैप्ट बेस्ड डिजिटाइजेशन ऑफ ओर्गनिक फार्म्स एंड आर्टिफ़िश्यल इंटेलीजेन्स एंड मशीन बेस्ड क्रॉप एडवाईजरी सर्विसेस”, हरिद्वार जिले में फार्म सैक्टर प्रमोशन फ़ंड के तहत स्वीकृत किया है।
नाबार्ड ने वर्ष 2020-21 के दौरान भेड़ पालन, मुर्गी पालन और डेयरी गतिविधियों से संबन्धित 05 नए किसान उत्पादक संघ (एफपीओ) स्वीकृत किए हैं जिससे राज्य में एफपीओ की कुल संख्या 95 हो गई है। नाबार्ड द्वारा वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य में एफपीओ को सहायता देने हेतु 104 लाख रुपए खर्च किए हैं । नाबार्ड, 04 वर्षों में 10000 एफपीओ बढ़ावा देने एवं पोषण करने संबंधी केंद्रीय सैक्टर की स्कीम के अंतर्गत एनसीडीसी एवं एसएफएसी के साथ – साथ ‘राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्यान्वयन ईकाई’ है। इस उद्देश्य हेतु नाबार्ड ने इस स्कीम को लागू करने हेतु 10 क्लस्टर बेस्ड बिज़नस ओरगानाईजेशन (सीबीबीओ) को एमपैनल किया है। नाबार्ड की गैर कृषि क्षेत्र की स्कीमों के तहत, कौशल विकास से संबन्धित कईं कार्यक्रमों के माध्यम से, नाबार्ड के नैब स्किलपोर्टल पर प्राप्त ग्रामीण युवाओं के आवेदनों को कौशल विकास पर प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु सहयोग दिया है। वर्ष 2020-21 के दौरान 04 नए रुरल मार्ट (02 टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल व हरिद्वार में एक- एक) और देहरादून जिले में एक रुरल हाट को स्वीकृत किया है।नाबार्ड ने अपने वित्तीय समावेशन फ़ंड के तहत वर्ष 2020-21 में विभिन्न वित्तीय समावेशन पहलों के अधीन, सहकारी बैंकों / उत्तराखंड ग्रामीण बैंक (यूजीबी) को 16 मोबाइल वैन, सहकारी बैंकों/ यूजीबी/ वाणिज्यिक बैंकों को 1278 वित्तीय साक्षरता प्रोग्रामों के लिए 3.51 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। नाबार्ड ने वर्ष 2020-21 के दौरान, 04 आजीविका एवं उद्यम विकास कार्यक्रम, 12 लघु उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत, विभिन्न एजेंसी को बहु कृषि / गैर कृषि क्षेत्र गतिविधियों के हेतु स्वीकृति दी जिससे क्रमश: 420 व 360 लाभार्थियों को फायदा हुआ। नाबार्ड ने सहकारी विकास फ़ंड के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ कॉपेरेटिव मैनेजमेंट, देहरादून को सहकारी बैंकों/ पैक्स के स्टाफ़ सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु, 09 पैक्स को ढांचा विकसित करने हेतु, बोर्ड सदस्यों/ सीनियर अधिकारियों को बाहरी सहकारी संस्थानों में एक्सपोजर पर भेजने हेतु सहायता प्रदान की ।  डॉ. ज्ञानेन्द्र मणि, मुख्य महाप्रबन्धक, नाबार्ड उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय ने संवादाताओं से बात करते हुए राज्य सरकार द्वारा आजीविका बढ़ाने हेतु लांच किए गए कार्यक्रम की सराहना की। उन्होन्ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में माननीय कृषि मंत्री, उत्तराखंड की अध्यक्षता में एक मंत्री स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो उत्तराखंड के कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र को नाबार्ड की सहायता से वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य बनाने में मदद करेगी उन्होने यह भी कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान नाबार्ड ने कईं नए कदम, जो मुख्यत: ग्रामीण क्रेडिट कॉपेरेटिव सैक्टर को लाभ पहुंचाने के लिए हैं, उठाए हैं। राज्य में 102 पैक्स को 18.55 करोड़ रुपए की कुल लागत एवं 16.55 करोड़ रुपए के बैंक ऋण के साथ बहु- उद्देशीय केंद्र के रूप मे परिवर्तित करने हेतु सैधानतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। नाबार्ड ने राज्य की 670 पैक्स को कम्प्युटरीकृत करने हेतु राज्य सहकारी बैंक को 5 करोड़ रुपए की सहायता स्वीकृत की है। वर्ष के दौरान, नाबार्ड ने उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक में बिज़नस डायवरसीफिकेशन एंड प्रॉडक्ट इनोवेशन (बीडीपीआई) सेल स्थापित करने हेतु 66 लाख रुपए की सहायता स्वीकृत की गई है। नाबार्ड, भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, राज्य सरकार को एग्रिकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर फ़ंड लागू करने हेतु सहयोग प्रदान कर रहा है। वर्ष के दौरान, नाबार्ड ने 03 नई पुनर्वित्त स्कीम यथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत ‘वाटर सैनीटाईजेशन एंड हाईजीन प्रोग्राम’ के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सतत और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने हेतु, नाबार्ड के वॉटर शेड और वाड़ी प्रोजेक्ट क्षेत्रों में अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए विशेष पुनर्वित्त स्कीम तथा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को सतत रूप से सहायता प्रदान करने हेतु विशेष पुनर्वित्त स्कीम जो ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर महिला उदयमियों और आकांक्षात्मक जिलों में रोजगार अवसर पैदा करने के लिए हैं, बनाई गईं हैं।

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