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नफरत की आग में जलता सहारनपुर …

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 सहारनपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों की तस्वीर पहले आज जैसी नहीं थी। दलित और ठाकुर समुदाय में तमाम बुनियादी अंतरों के बाद भी समरसता बनी रही। लेकिन कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा कुछ इस कदर बढ़ी कि सहारनपुर सुलगने लगा। नफरत की आग में हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ साथ वो लोग भी जल रहे हैं जिनका इससे कोई नाता नहीं है। लेकिन सच ये है कि सहारनपुर की फिजा में तनाव अपने चरम पर है। यूपी सरकार के उच्च स्तरीय अधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा के पीछे जिम्मेदार लोगों की कुत्सित मंशा साफ नजर आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भीम सेना 2014 के लोकसभा चुनाव के समय सक्रिय हुई थी। इस सेना पर उस समय भी इलाके में जातीय विद्वेष फैलाने का आरोप लगा था। लेकिन प्रशासन को उस वक्त भनक नहीं लग सकी। भीम सेना से जुड़े लोग इस तरह का माहौल बनाने में जुटे रहे ताकि आपसी सौहार्द बेपटरी हो जाए। 23 मई को मायावती के सहारनपुर आने के बाद बड़गांव थानाक्षेत्र में हिंसा भड़क उठी। रिपोर्ट के मुताबिक षड़यंत्रकारियों का मकसद साफ था वो चाहते थे कि दलितों का गुस्सा यूं ही बना रहे और भविष्य में दलित-मुस्लिम गठजोड़ की मंशा परवान चढ़ सके। सहारनपुर में जातीय हिंसा के आरोपी चंद्रशेखर की गिरफ्तारी को लेकर किसी तरह का बवाल न हो इसके लिए गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा की रिपोर्ट पर डीएम ने इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्देश दिया था। अब चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ और एटीएस की टीमों सहारनपुर और उसके आस पास सात जगहों पर डेरा डाले हुई है।

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