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तीन माह में 4257 बार सांसदों का मुफ्त यात्रा : रोडवेज मुख्यालय

रोडवेज मुख्यालय ने पकड़ी हेराफेरी, 90 दिन में 4257 बार सांसदों ने की मुफ्त यात्रा, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सूबे में महज पांच लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद हैं, महंगी लग्जरी गाड़ियां होने के बावजूद इन आठों ने तीन माह में 660 बार रोडवेज की हल्द्वानी डिपो की बसों में मुफ्त यात्रा की। इतना ही नहीं इन आठों ने इसी अवधि में पर्वतीय डिपो की बसों में 366 बार, रुद्रपुर डिपो की बसों में 302 बार, पिथौरागढ़ की बसों में 288 बार, हरिद्वार के दो डिपो की बसों में 300 बार मुफ्त यात्रा की। मामला यहीं शांत नहीं होता, इन्हीं आठ सांसदों ने भवाली डिपो में 124, ग्रामीण में 177, काशीपुर में 111, काठगोदाम के दो डिपो में 376 बार मुफ्त यात्रा का सुख लिया। रोडवेज परिचालकों ने फर्जी टिकट बनाने की पराकाष्ठा में न तो सांसदों की संख्या पर गौर किया, न यात्रा दिनों की। रोडवेज की विशेष श्रेणी में चल रही मुफ्त यात्रा आजकल सवालों के घेरे में है। खुद रोडवेज मुख्यालय ने डिपो से आए आंकड़ों में हेराफेरी पकड़ी है। इनमें तीन श्रेणी की यात्रा संदिग्ध है। सांसदों के साथ ही विधायकों व पूर्व विधायकों द्वारा की गई यात्रएं इनमें शामिल हैं। रोडवेज मुख्यालय ने इसकी जांच शुरू कर दी है। रोडवेज के एक जनवरी 2018 से 31 मार्च तक के आंकड़े तो यही बता रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार टनकपुर डिपो में 365 बार और देहरादून जेएनएनयूआरएम डिपो में 129 बार मुफ्त यात्रा सांसदों ने की है। कुल मिलाकर 90 दिन में आठ सांसदों ने 4257 बार मुफ्त यात्रा की। यह आंकड़े न किसी को हजम हो रहे हैं, न व्यवहारिक तौर पर फिट बैठ रहे हैं। रोडवेज बस में विशेष श्रेणी में कौन यात्रा कर रहा, इसकी सत्यता जांचने का कोई भी मापदंड रोडवेज प्रबंधन के पास नहीं है। जनकल्याणकारी योजनाओं के नाम पर इस समय उत्तराखंड रोडवेज में 15 श्रेणियों में मुफ्त यात्रा का प्रावधान है। सर्वाधिक मुफ्त यात्रा छात्राओं-वरिष्ठजनों की है, लेकिन गड़बड़ी हो रही सांसद एवं विधायक श्रेणी में। सांसद व विधायक खुद तो यात्रा करते नहीं, लेकिन चर्चाएं है कि उनके प्रतिनिधियों के द्वारा कईं दफा नियम विरुद्ध जरूर मुफ्त यात्रा का आनंद लिया जा रहा। रोडवेज प्रबंधन को संदेह है कि सांसद, विधायक और पूर्व विधायक की श्रेणी की आड़ में परिचालकों ने बेटिकट यात्रा को बढ़ावा दिया। यात्रियों से किराया वसूलकर उनका टिकट विशेष श्रेणी का बना दिया। ऐसे परिचालकों को चिह्नित किया जा रहा है।

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