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ड्रग्स के विरूद्ध सभी राज्यों को संयुक्त रूप से बनाना होगा कानूनः मुख्यमंत्री

चंडीगढ़ | मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चंडीगढ़ में ‘‘नशे के खिलाफ संयुक्त रणनीति’’ पर आयोजित सम्मेलन में प्रतिभाग किया। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी सम्मेलन में शिरकत की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को चंडीगढ़ में ‘‘नशे के खिलाफ संयुक्त रणनीति’’ पर आयोजित द्वितीय क्षेत्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में देश एवं प्रदेशों के समक्ष मादक पदार्थों का दुरूपयोग एक बड़ी चुनौती है, जिसका सामना सभी प्रदेशों को आपसी समन्वय के साथ करना होगा। चंडीगढ़ में आयोजित इस क्षेत्रीय सम्मेलन में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व संबधित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। सम्मेलन में ड्रग्स की समस्या और इससे निपटने की चुनौतियों व योजनाओं पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ड्रग्स की समस्या से निपटने के लिये प्रभावी प्रयासों की जरूरत बताते हुए कहा कि नशा समाज में एक विकृति के रूप में उभर रहा है, जो समाज के लिए बहुत बड़ा अभिशाप है। हमारी भावी युवा पीढ़ी देश का भविष्य है। इसलिए इस विकृति व अभिशाप को जड़ से मिटाने के लिए सभी राज्यों को आपसी समन्वय एवं सहयोग से कार्य करने की आवश्यकता है, उन्होंने कहा कि इस प्रकार की समन्वय बैठकें नियमित रूप से की जानी चाहिए। सभी प्रदेशों के प्रयासों से इसके बेहतर परिणाम मिल सकेंगे। मादक पदार्थों से सम्बन्धित बड़े अपराधी छद्म तौर से एक प्रान्त में रहकर ही अन्य प्रान्तों में कैरियर के माध्यम से अपना कारोगार संचालित करते हैं अतः ऐसे बड़े अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए सभी राज्यों को आपसी समन्वय बनाये रखना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई पहल की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य में विकास की गति तीव्र होने के साथ-साथ हमारे सामने इस प्रकार की चुनौतियां भी हैं। हमारे समाज, विशेषकर युवाओं, में भी बढ़ती नशे की प्रवृत्ति एक गम्भीर चुनौती बनी हुई है। इसके लिए हमारा दायित्व है कि हम अपने समाज में बढ़ रही इस समस्या के निदान हेतु मिलकर प्रयास करें। उत्तराखण्ड राज्य इस चुनौती से निपटने के लिए अत्यन्त संवदेनशील, गम्भीर एवं सजग है और निरन्तर मादक पदार्थ के दुरूपयोग के विरूद्ध गम्भीरता से कार्यवाही कर रहा है। राज्य में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को शून्य स्तर पर लाने के लिए सम्बन्धित विभागों द्वारा आपसी समन्वय से ड्रग उन्मूलन के लिए कारगर नीति तैयार की जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड नशे के खिलाफ मुहिम चलाने में हर संभव मदद के लिए तैयार है। इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे पांचों राज्यों को नशे के खिलाफ मिलकर कार्य करना जरूरी है। नशे पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्यों की पुलिस को आपसी समन्वय से कार्य करना होगा। इसके लिए खूफिया तंत्र विकसित कर सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान पर विशेष ध्यान देने की भी उन्होंने जरूरत बताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे के खिलाप व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की भी जरूरत है। नशे के दुष्प्रभाव के बारे में व नशा मुक्ति के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों एवं अभिभावकों को भी इसमें आगे आना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नशा उन्मूलन के लिए पुलिस द्वारा जन-जागरूकता अभियान निरन्तर चलाये जा रहे हैं, ताकि छात्र, छात्राएं एवं युवा वर्ग मादक पदार्थों के परिणामों से अवगत हो सके। इसके लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान द्वारा एक नोडल अधिकारी नामित करके एण्टी ड्रग कमेटी गठित की गई है। शिक्षण संस्थानों द्वारा अभिभावक-शिक्षक सम्मेलन के दौरान मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सकों के साथ नशे का सेवन करने वाले छात्र-छात्राओं की काउन्सिलिंग की जाती है। प्रदेश में नारकोटिक एवं साइकोट्रॉपिक दवाओं, नकली दवाओं आदि पर प्रभावी नियन्त्रण हेतु, खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन को स्वास्थ्य विभाग से अलग विभाग बनाया गया है। साथ ही सतर्कता सेल का गठन भी किया

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