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उत्तराखंड : विपक्ष के शोर-शराबे के बीच छह विधेयक पारित

vidhan sabha

देहरादून । उत्तराखंड श्राइन प्रबंधन विधेयक 2019 को लेकर सोमवार को विपक्ष ने विधानसभा में खूब हंगामा काटा। हंगामे के चलते प्रश्नकाल नहीं चला और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को सात बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने वैल में आकर जोरदार नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। स्पीकर के अनुरोध के बावजूद विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर नहीं बैठे और वैल में ही धरने पर बैठ गए। विपक्ष का आरोप था कि सरकार गुपचुप ढंग से श्राइन प्रबंधन बिल सदन में ले आई और विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया। विपक्ष अड़ गया कि जब तक सरकार विधेयक को वापस नहीं लेगी या उसे प्रवर समिति की नहीं भेजेगी, उसका विरोध जारी रहेगा। शोर शराबे के बीच सरकार ने श्राइन प्रबंधन विधेयक समेत दो बिल पेश किए। भोजनावकाश के बाद ध्वनिमत से 2533.90 करोड़ रुपये की अनुपूरक अनुदान मांगें समेत कुल छह विधेयक पारित कर दिए। इससे पूर्व सोमवार को जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने खेद जताया कि विपक्ष को विश्वास में लिए बिना कार्यसूची में चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक को पेश कर दिया गया। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी इसके बारे में चर्चा नहीं हुई। उन्हें व कांग्रेस सदस्यों को बिल की प्रति तक उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने बिल वापस लेने की मांग की। इस पर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार चर्चा करने को तैयार है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष किस नियम के तहत ये मामला उठा रही हैं? उनके इतना कहते ही कांग्रेस विधायक मनोज रावत वैल में आ गए। उनके पीछे विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, करन माहरा, हरीश धाम, राजकुमार, फुरकान अहमद, ममता राकेश व आदेश गुप्ता भी वैल पहुंच गए। बाद में विधायक प्रीतम सिंह भी विरोध में शामिल हो गए।विपक्षी सदस्य नारे लगा रहे थे कि ‘धर्म विरोधी सरकार नहीं चलेगी’, ‘धर्म का जो अपमान करेगा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा’। उन्होंने नारायण-नारायण का जाप करना भी शुरू कर दिया। उन्होंने जय बदरी विशाल और जय केदारनाथ के जयकारे भी लगाए। बार-बार अपील पर जब कांग्रेस विधायक नहीं मानें तो स्पीकर ने सदन की कार्यवाही पहले 11.15 बजे तक स्थगित कर दी। सरकार ने हंगामे के बीच दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक व चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक सदन में पटल पर रखा। इस बीच स्पीकर के चैंबर में सदन चलाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्यमंत्री की मंत्रणा हुई, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ। विपक्ष का विरोध जारी रहा। स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष को कार्यस्थगन की सूचना पर बात कहने को कहा तो उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि आज केवल श्राइन बोर्ड का मामला उठाएंगे। माहौल शांत न होने पर स्पीकर ने 1.20 बजे सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो विपक्षी सदस्य फिर वैल में आ गए। सरकार ने शोरगुल के बीच छह महत्वपूर्ण विधेयक बगैर चर्चा के ध्वनिमत से पारित करा दिए। शारे-शराबे के बीच अनुपूरक अनुदान मांगें भी ध्वनिमत से पारित करा दी गई। सदन में बिना चर्चा के जो बिल पास हुए उनमें उत्तराखंड पंचायतीराज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 कारखाना (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2019, संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2019, उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडी (विकास एवं विनियमन )(संशोधन) विधेयक 2019, उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक 2019 और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय विधेयक 2019 शामिल हैं। इसके अलावा शोर-शराबे के बीच जो बिल सदन में हुए पेश उनमें दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2019 और उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन विधेयक 2019 शामिल हैं। इसके बाद 3.44 बजे स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया।

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