आईएएस ऑफिसर ने आंगनवाड़ी के बच्चों का बनाया भविष्य , जानिए खबर
वक्त के इस भागमभाग भरे दौर में अच्छे सामाजिक रास्ते पर चलना भी एक सुकून भरा पल होता है यही नही कामयाबी के बाद अपने लिए बेहतर ज़िंदगी तो सभी चुनते है पर ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो खुद सुकून से रहने के बाद भी दूसरों की ज़िंदगी बेहतर बनाने की सोचते हैं. जी हां आज हम आज हम एक ऐसी ही आईएएस ऑफिसर की बात कर रहे है, जिन्होंने आंगनवाड़ी को गोद लेकर निजी खर्चे से बच्चों का भविष्य बनाया. यह है आईएएस ऑफिसर गरिमा सिंह जो आईएएस ऑफिसर गरिमा सिंह ने 2015 में यूपीएससी परीक्षा में 55 रैंक हासिल की 55 वां स्थान पाने से पहले गरिमा सिंह इससे पूर्व वह आईपीएस ऑफिसर थीं | महिला हेल्पलाइन 1090 को स्थापित करने में भी उनका अहम योगदान रहा है गरिमा सिंह अपने कार्यक्षेत्र में आंगनवाड़ी को गोद लेकर उसका स्वरूप बदलने के लिए सुर्खियों में हैं | गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एम.ए. (हिस्ट्री) किया. यूपी के बलिया की गरिमा ने सिविल सर्विसेज एग्जाम पहली बार 2012 में दिया. आईपीएस बनकर लखनऊ में 2 साल तक अंडर ट्रेनी एएसपी तैनात रहीं. दूसरी पोस्टिंग झांसी में बतौर एसपी सिटी हुई. ड्यूटी के साथ आईएएस की तैयारी की | 2016 में गरिमा को झारखंड के हजारीबाग में आईएएस ऑफिसर एवं समाज सेवक ऑफिसर की पोस्टिंग मिली. समाज सेवा के क्षेत्र में विशेषकर बच्चों की शिक्षा पर काम करने का मौका मिला | गरिमा ने हजारीबाग की आंगनवाड़ी की जर्जर हालत देख मटवारी मस्जिद हजारीबाग की आंगनवाड़ी को गोद उन्होंने ने लिया निजी खर्च पर गरिमा आंगनवाड़ी की इमारत को नया रूप दिया साथ ही उसमे स्पोर्ट्स सामान, कुर्सी-टेबल, ब्लॉक, खिलौनो की व्यवस्था भी किये , सरकार ने इसी तर्ज पर 31 मार्च तक 50 ऐसे सेंटरों के पुनर्निर्माण की घोषणा भी कर दी है |