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मुजफ्फरपुर में मौतों का आंकड़ा बढ़ा ,107 बच्चों की मोत

चमकी बुखार (अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) के कारण बिहार के मुजफ्फरपुर राज्य में 107 बच्चों की मौतों ने देश को हिलाकर रख दिया है। इस बीच, इन मौतों के पीछे कई और वजहें भी बताई जा रही हैं। बढ़ती गर्मी, बच्चों के पोषण से जुड़ी योजनाओं की नाकामी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बीमारी से निपटने के लिए इंतजाम नहीं होने को भी मौत के आंकड़ें बढ़ने का कारण बताया जा रहा है। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें लगभग सभी 10 वर्ष से नीचे के हैं। मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में अब तक 88 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, ट्र्स्ट द्वारा संचालित केजरीवाल मैत्री सदन अस्पताल में 19 मौतें हुई हैं। एईएस के लिए लीची में मौजूद टॉक्सिन्स (विषैले तत्वों) को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। अस्पताल में अभी 330 बच्चों का इलाज चल रहा है। वहीं, 100 बच्चों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अस्पताल में भर्ती बच्चों का हाल जानने मुजफ्फरपुर पहुंच रहे हैं।2000 से 2010 के दौरान संक्रमण की चपेट में आकर 1000 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। बीमारी की स्पष्ट वजह अभी सामने नहीं आई है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक बढ़ती गर्मी, लू, कुपोषण और खाली पेट लीची खाने की वजह से इस साल मौतों की संख्या ज्यादा है। समय से ग्लूकोज चढ़ाना ही इसमें सबसे प्रभावी इलाज माना जा रहा है। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीएस सहनी का कहना है कि केवल लीची को जिम्मेदार ठहराना न्यायसंगत नहीं होगा। वह कहते हैं, ‘शहर में रहने वाले बच्चे भी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। जबकि पिछले दो दशक के दौरान शहरी इलाकों में एईएस के सिर्फ चार मामले सामने आए थे।’ इन्सेफलाइटिस से जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर महादलित समुदाय से आते हैं। इसमें मुसहर और दलित जातियां शामिल हैं। ज्यादातर बच्चे कुपोषण का शिकार थे। इस बीच बीमारी का दायरा अब बढ़ता जा रहा है। पड़ोसी पूर्वी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी से भी चमकी बुखार के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में वैशाली के दो ब्लॉक में भी कुछ संदिग्ध मामले देखे गए थे।

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