महिला दिवस पर राज्यसभा में दिखाई दी अद्भुत एकता
राज्यसभा में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर गुरुवार को महिला सांसदों ने महिलाओं पर हो रहे अपराधों पर चिंता जताई। साथ ही संसद और राज्य विधानमंडलों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित किए जाने पर जोर दिया। चालू सत्र में लगातार हंगामे और छींटाकसी की शिकार रही राज्यसभा में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के अधिकार को लेकर अद्भुत एकजुटता देखने को मिली। सदन में कामकाज की शुरुआत करते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने महिला दिवस का जिक्र किया और कहा कि इस समय पूरा विश्व महिलाओं की उपलब्धियों को याद कर रहा है। इसलिए हमें भी महिला सशक्तीकरण और लैंगिक भेदभाव से ऊपर उठकर कार्य करने की जरूरत है। देश को तेज तरक्की की राह पर ले जाने के लिए महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में ताकत मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्हें संसद और विधानमंडलों में आरक्षण मिलना चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक के अनुसार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह विधेयक मार्च 2010 में राज्यसभा पारित कर चुकी है लेकिन लोकसभा में यह अभी लंबित है। सभापति के बोलने के बाद विभिन्न दलों की महिला सांसदों ने आरक्षण व सशक्तीकरण के अन्य मुद्दों पर बोलना शुरू किया। सभी का जोर महिला आरक्षण विधेयक के संसद से जल्द पारित होने पर था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, उन्होंने महिलाओं को आरक्षण देने के प्रस्ताव के समर्थन में वोट डाला था। वह आज भी इस विधेयक के पूर्ण समर्थन में हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद महिलाओं के साथ कई क्षेत्रों में अन्याय हो रहा है, जो शर्मनाक है। महिला दिवस पर हम शपथ लें कि महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय और उनकी पीड़ा को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सुषमा ने सामाजिक बदलाव के लिए जन आंदोलन चलाने का आह्वान किया।