पितृपक्ष में क्या करे क्या ना करे , जानिये ख़बर…
ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पितर धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं. ये पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं. जिन जीवों तथा पशु पक्षियों के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं वो हैं – गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी. श्राद्ध के समय इनके लिए भी आहार का एक अंश निकाला जाता है, तभी श्राद्ध कर्म पूर्ण होता है. श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं – गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए. इन पांच अंशों का अर्पण करने को पञ्च बलि कहा जाता है | सबसे पहले भोजन की तीन आहुति कंडा जलाकर दी जाती है. श्राद्ध कर्म में भोजन के पूर्व पांच जगह पर अलग-अलग भोजन का थोड़ा-थोड़ा अंश निकाला जाता है. गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर तथा कौवे के लिए भूमि पर अंश रखा जाता है. फिर प्रार्थना की जाती है कि इनके माध्यम से हमारे पितर प्रसन्न हों.