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निकाय या पंचायत चुनावों को जिम्मेदार नहीं भारतीय निर्वाचन आयोग

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नई दिल्ली। पिछले दिनों की इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों को लेकर आमजनों के मस्तिष्क में कुछ सवाल उठे हैं। निर्वाचन आयोग बार-बार कहता रहा है कि ईसीआई-ईवीएम और उनसे संबंधित प्रणालियां सुदृढ़, सुरक्षित और छेडखानी-मुक्त हैं। ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों तब और बल मिला जब उपचुनावों को लेकर मध्य प्रदेश के भिंड में भेजी गई एक ईवीएम से दूसरी पार्टी के बटन दबाने के बाद भी बीजेपी की पर्ची निकलने का मामला सामने आया। इसके बाद बीएसपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी ने इसकी आलोचना की। समय समय पर निर्वाचन आयोग अपने ऊपर उठने वाले सवालों के जवाब देता आया है। अब भारत निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर यही किया है। टैम्परिंग या छेडखानी का अर्थ है, कंट्रोल यूनिट (सीयू) की मौजूदा माइक्रो चिप्स पर लिखित साफ्टवेयर प्रोग्राम में बदलाव करना या सीयू में नई माइक्रो चिप्स इंसर्ट करके दुर्भावनापूर्ण साफ्टवेयर प्रोग्राम शुरू करना और बैलेट यूनिट में प्रेस की जाने वाली ऐसी कीज बनाना, जो कंट्रोल यूनिट में वफादारी के साथ परिणाम दर्ज न करती हो। साफ्टवेयर की सुरक्षा के बारे में विनिर्माता के स्तर पर कड़ा सुरक्षा प्रोटोकोल लागू किया गया है। ये मशीनें 2006 से अलग अलग वर्षों में विनिर्मित की जा रही हैं। विनिर्माण के बाद ईवीएम को राज्य और किसी राज्य के भीतर जिले से जिले में भेजा जाता है। विनिर्माता इस स्थिति में नहीं हो सकते कि वे कई वर्ष पहले यह जान सकें कि कौन सा उम्मीदवार किस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा और बैलेट यूनिट में उम्मीदवारों की सीक्वेंस क्या होगी। इतना ही नहीं, प्रत्येक ईसीआई-ईवीएम का एक सीरियल नम्बर है और निर्वाचन आयोग ईवीएम-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके अपने डेटा बेस से यह पता लगा सकता है कि कौन सी मशीन कहां पर है।

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