‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम पर जल संसाधन मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के बीच समझौता
जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्रालय ने नई दिल्ली में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को तेजी से लागू करने के लिए कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ज्ञापन पर जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्रलाय के हरी हर मिश्रा, अपर मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय के डॉ. एस. एस. तोमर, अपर आयुक्त ने जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर भारती ने कहा कि इस सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से तालमेल के साथ ‘नमामि गंगे’ की विभिन्न परियोजनाओं का कारगर तरीके से कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि ‘नमामि गंगे’ बहुविषयी कार्यक्रम है और इसकी सफलता अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों तथा स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर निर्भर करती है। सुश्री भारती ने आशा व्यक्त की कि कृषि मंत्रालय ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने में जल संसाधन मंत्रालय को सभी आवश्यक सहायता देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम मोदी सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों मंत्रालय इसकी सफलता में भरपूर योगदान देंगे। सहमति ज्ञापन के अनुसार कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय गंगा किनारे के गांवों में जैविक कृषि का विकास करेगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत एक क्लस्टर का प्रतिनिधित्व करेगी और जागरूकता कार्यक्रमों, स्वयं सहायता समूहों तथा मोबाइल एप के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित करेंगी। मंत्रालय रसायन, उर्वरक और कीटनाशकों के संतुलित उपयोग के लिए जागरूकता पैदा करेगा, ताकि गंगा बेसिन में जल संरक्षण के लिए सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा मिले। मंत्रालय गंगा किनारे आजीविका के अवसर तथा पशुपालन आधारित प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देगा। जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्रालय राज्य सरकारों तथा राज्य स्तरीय क्रियान्वयन एजेंसियों के बीच कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न गतिविधियों में आवश्यक तालमेल सुनिश्चित करेगा। यह सहमति ज्ञापन तीन वर्षों के लिए किया गया है और दोनों पक्षों की सहमति से इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।