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दो हजार चाय बागान श्रमिक बेरोजगारी की कगार पर

भले ही राज्य सरकार रोजगार मुहैया कराने और पलायन रोकने के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सरकार की अनदेखी के चलते दो हजार चाय बागान श्रमिक बेरोजगारी की कगार पर है। श्रमिकों ने कई बार इस संबंध में  शासन-प्रशासन के नुमाइंदों को ज्ञापन दिए, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। इससे गुस्साए श्रमिकों ने अब उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। उत्तराखंड चाय बागान श्रमिक संघ की कौसानी चाय फैक्ट्री में बैठक हुई। इस दौरान केएस खत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि श्रमिकों की मांगों की लंबे समय से अनदेखी की जा रही है। जिलाधिकारी से लेकर स्थानीय विधायक को कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं। बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। श्रमिकों ने चाय बागान की दुर्दशा सुधारने, चाय बागान वैज्ञानिक और निदेशक की तैनाती करने, मनमाने तरीके से श्रमिकों की वेतन कटौती, ईपीएफ काटने, चाय बागानों की उत्पादकता कम होने के कारण जमीन मालिकों को लीज का 2014 से भुगतान ना होने आदि समस्याओं के निराकरण की मांग की है। समाजसेवी लीलाधर पांडे ने कहा कि श्रमिकों के हितों का हनन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस श्रमिक की मेहनत से चाय बोर्ड चल रहा है वो ही अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने उच्च स्तर के अधिकारियों पर श्रमिकों का शोषण करने का आरोप लगाया।  उनका कहना है कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो कोर्ट की शरण ली जाएगी। श्रमिक चंदन सिंह भंडारी ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी, लेकिन पूर्ण जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गर्इ तो धरना प्रदर्शन कर उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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