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देश का नाम रोशन करेंगे झुग्गियों से निकले ये स्टार

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नई दिल्ली | 17 साल की आरती फरीदाबाद के इंदिरा कॉम्पलेक्स में बनी झोपड़ी में रहती है। इन दिनों वह होमलेस फुटबॉल वर्ल्ड कप (बेघर फुटबॉल वर्ल्ड कप) में हिस्सा लेने आई हुई है। आरती ने जब टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनकर मेक्सिको के सिटी स्क्वेयर में बने जोकालो फुटबॉल मैदान पर पांव रखा, तो शायद ही उसके जहन में अपने घर की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों की याद बाकी हो। इस टूर्नमेंट में उन खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिलता है, जो गरीब परिवार से हैं और जिनके पास रहने को घर नहीं है, वे स्लम में रहते हैं। आरती के माता-पिता मजदूरी करते हैं और परिवार की आय भी स्थिर नहीं है। आरती सरीखा चुनौतीपूर्ण जीवन जीने वाले ज्यादातर लोग अपने सपने अपने संघर्षों में ही भुला देते हैं। लेकिन आरती सपनों को सच में बदलने वाली लड़की है और उसने फुटबॉल खेलने के अपने इरादे को कभी नहीं छोड़ा। संघर्षपूर्ण जिंदगी जी रही आरती को न तो कभी उसके स्कूल (गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकंडरी स्कूल) के टीचर्स ने सराहा और न ही कभी उसके परिवार ने। आरती ने अपने सपनों की राह खुद तय की और फुटबॉल के पीछे दौड़ लगाना जारी रखा। आखिरकार उसके सपनों को पंख लगने का समय आया और आज वह होमलेस वर्ल्ड कप खेलने आईं 47 देशों की 63 टीमों में से एक टीम का हिस्सा हैं। हर साल आयोजित होने वाल होमलेस फुटबॉल वर्ल्ड कप  मेक्सिको में आयोजित हुआ था । इस टूर्नमेंट का मकसद फुटबॉल के जरिए बेघर लोगों की चुनौतियों को दुनिया के सामने लाना है। भारत में बेघर लोगों को फुटबॉल से जोड़ने का काम ‘स्लम सोकर’ संस्था करती है। आरती को भी अपने सपने सच करने का सुनहरा मौका इसी एनजीओ से मिला।

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