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दुर्घटना में एक पैर गवाया और अब देश को गर्व कराया , जानिये खबर

दिल में चाहत हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं प्रतीत होता एक कठिन मेहनत के दम पर आप कुछ भी हासिल कर सकते है जी हां ऐसा ही कुछ कर दिखाया है भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने | भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने पहला विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीता जो की अब तक ऐसा कोई कारनामा नहीं कर पाया | मानसी जोशी ने जीतने के बाद कहा कि यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, “मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है…मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया। मैंने जिम में अधिक समय बिताया, सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की।” मानसी जोशी ने बासेल में विश्व पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप के महिला एकल एसएल-3 फाइनल में हमवतन पारुल परमार को 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीता। मानसी ने 2011 में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवाया था। उसके आठ साल बाद फाइनल में उन्होंने तीन बार की विश्व चैंपियन परमार को शनिवार को पराजित किया। वह पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं। भारत ने इस प्रतियोगिता में कुल 14 पदक जीते, जिसमें तीन स्वर्ण और तीन रजत शामिल हैं। भारतीय पैरालंपिक समिति ने मानसी को इस जीत के लिए बधाई दी है। इस बीच प्रमोद भगत और मनोज सरकार ने पुरुष युगल एसएल 3-4 वर्ग के फाइनल में हमवतन नितेश कुमार और तरुण ढिल्लों को 14-21, 21-15, 21-16 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इस चैम्पियनशिप में भगत का यह दूसरा स्वर्ण पदक है। इससे पहले उन्होंने पुरुष युगल एसएल 3-4 का खिताब भी जीता था।

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