कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि विकास और परिवर्तन का केंद्र बनना चाहिए : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि विकास और परिवर्तन का केंद्र होना चाहिए। कृषि संस्थानों को विकास और गुणवत्ता में सुधार के लिए ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। विशेषज्ञता हासिल करने के लिए सांस्थानिक समझौते किये जाने चाहिए। संयुक्त अनुसंधान के लिए अन्य कृषि संस्थानों के साथ सहभागिता की जानी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि जमीन का बेहतरीन इस्तेमाल और मृदा प्रबंधन को अपनाना बहुत आवश्यक हो गया है। बेहतर खेती के लिए यह जरूरी है कि हम मिट्टी की गुणवत्ता के महत्व को पहचानें, पौधों के पोषण के लिए प्राकृतिक साधन का इस्तेमाल करें और उर्वरकों का समझदारी से प्रयोग करें। बेहतर खेती करने के लिए यह भी जरूरी है कि प्रौद्योगिकी विकास में ज्यादा निवेश किया जाये और बाजार तक किसानों की पहुंच बनाई जाये, ताकि उन्हें अपनी उपज की बेहतर कीमत मिल सके। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2015’ में कम पोषण, सामान्य वजन से कम के बच्चे और बाल मृत्यु की दर के सम्बंध में तीन संकेतक दिये हैं, जिनके अनुसार 104 देशों में भारत 80वें स्थान पर है। यह स्वीकार नहीं है। हमें समयबद्ध तरीके से अपनी आबादी के पोषण क्षेत्र में सुधार करना होगा।