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कार्तिक स्वामी मंदिर में महापुराण ज्ञानयज्ञ एवं महायज्ञ का आयोजन,जानिये खबर

uttarakhand

 

रुद्रप्रयाग। 1940 से प्रतिवर्ष जून माह में मंदिर में महायज्ञ होता है। बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर भी दो दिवसीय मेला लगता है। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां निसंतान दंपति दीपदान करते हैं। यहां पर रातभर खड़े दीये लेकर दंपति संतान प्राप्ति की कामना करतेे हैं, जो फलीभूत होती है। कार्तिक पूर्णिमा और जेठ माह में आधिपत्य गांवों की ओर से मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान भी किया जाता है। आगामी छह जून से कार्तिक स्वामी मंदिर में महापुराण ज्ञानयज्ञ एवं महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। छह जून को कुंड खातिक श्रीगणेश, सात जून के पंचांग पूजन, हवन-प्रवचन, 14 जून को भव्य जलकलश यात्रा और 14 जून को पूर्णाहुति के साथ मंडाले का आयोजन किया जाएगा।  किवदंती है कि भगवान कार्तिकेय व गणेश ने अपने माता-पिता भगवान शिव व पार्वती के सम्मुख उनका विवाह करने की बात कही। माता-पिता ने कहा कि जो पूरे विश्व की परिक्रमा कर पहले उनके सम्मुख पहुंचेगा, उसका विवाह पहले होगा। कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर विश्व परिक्रमा को निकल पड़े। जबकि गणेश गंगा स्नान कर माता-पिता की परिक्रमा करने लगे। गणेश को परिक्रमा करते देख शिव-पार्वती ने पूछा कि वे विश्व की जगह उनकी परिक्रमा क्यों कर रहे हैं तो गणेश ने उत्तर दिया कि माता-पिता में ही पूरा संसार समाहित है। यह बात सुनकर शिव-पार्वती ने खुश होकर गणेश का विवाह विश्वकर्मा की पुत्री रिद्धि व सिद्धि से कर दिया। इधर, विश्व भ्रमण कर लौटते समय कार्तिकेय को देवर्षि नारद ने पूरा वृतांत सुनाया तो, कार्तिकेय नाराज हो गए और कैलाश पहुंचकर अपना मांस माता को और खून पिता को सौंप निर्वाण रूप में तपस्या के लिए क्रोंच पर्वत पर गए। तब से भगवान कार्तिकेय को यहां पर पूजा जाता है।

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