Breaking News:

पहचान : समाज के लिए प्रेरणास्रोत दिव्यांग लोगों को किया गया सम्मानित -

Saturday, October 26, 2024

सामाजिक संस्था के प्रतिनिधियों ने वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह से की जन संवाद -

Tuesday, October 22, 2024

पहचान : पवई की समाज सेविका अंजू सिंगरौल ने वितरण किए आदिवासी बच्चों को जूते चप्पल -

Tuesday, October 22, 2024

दवा इंडिया जेनेरिक फार्मेसी स्टोर का शुभारम्भ….. -

Tuesday, October 22, 2024

फैशन अड्डा : नवांकुर संस्था द्वारा लगाया गया स्टॉल रहा मुख्य आकर्षण का केंद्र -

Saturday, October 19, 2024

पंडित नारायण दत्त तिवारी के जयंती एवं पुण्यतिथि पर शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन -

Friday, October 18, 2024

रामलीला मे बंदर बनकर फरार कैदी पांच दिन बाद भी कोई सुराग नही, जानिए खबर -

Thursday, October 17, 2024

जिस्मफरोशी के कारोबार का खुलासा, तीन महिलाओं सहित सात लोग गिरफ्तार -

Thursday, October 17, 2024

दून को हरा भरा साफ सुथरा रखने में जन सहयोग जरूरी, जानिए खबर -

Thursday, October 17, 2024

सुदूर क्षेत्र जोशीमठ फरकिया गांव के उभरते हुए टेबल टेनिस खिलाडी अर्पित ने किया कमाल,जानिए खबर -

Tuesday, October 15, 2024

विद्युत प्रकरण पर पनाश वैली निवासियों की जीत, जानिए खबर -

Monday, October 14, 2024

खादी ग्रामोद्योग केंद्र से जुड़कर महिलाएं बना रही हैं अपनी पहचान: अंकित तिवारी -

Monday, October 14, 2024

पहचान : झलक इरा के मंच पर सम्मानित होंगी 40 महिला प्रतिभाएं -

Monday, October 14, 2024

हल्द्वानी : 3 लाख के नकली नोटों के साथ गिरोह को पुलिस ने दबोचा -

Monday, October 14, 2024

राष्ट्रीय कृषि और नाबार्ड द्वारा देहरादून में “सेब महोत्सव ” का आयोजन -

Sunday, October 13, 2024

चकराता के गंभीर का चयन टी -20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप कैम्प मे, जानिए खबर -

Sunday, October 13, 2024

टूटी इंटरलॉकिंग टाइल्स बन रही दुर्घटना का कारण, जानिए खबर -

Saturday, October 12, 2024

अच्छे कार्य करें और व्यवहारिक जीवन में एक दूसरे के बने सारथी….. -

Saturday, October 12, 2024

स्कूल एजुकेशन की टीम ने जीता सचिवालय कप, जानिए खबर -

Friday, October 11, 2024

महिला टीम के शानदार खेल से सचिवालय कप पर एजुकेशन वॉरियर्स का कब्जा, जानिए खबर -

Friday, October 11, 2024



इनसे सीखे : दृष्टिहीन श्रीकांत ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी

 

आंध्र प्रदेश | शारीरिक असक्षमता के कारण कोई इंसान समाज को अनुपयोगी लग सकता है लेकिन उनकी ज़िंदगी भी ख़ास होती है और मौका मिले तो वे भी खु़द को साबित कर सकते हैं | ठीक उसी तरह जिस तरह इस नेत्रहीन लड़के ने खुद को साबित किया | हम जिस लड़के की बात कर रहे हैं उसका नाम है श्रीकांत बोला | आंध्र प्रदेश के सीतारामपुरम, मछलीपट्टनम शहर में 7 जुलाई 1992 को जन्मे श्रीकांत बोला बचपन से ही दृष्टिहीन हैं | उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर थी | महीने भर में 1600 रुपये कमाने वाले परिवार में ऐसे दृष्टिहीन बच्चे का जन्म किसी शोक से कम नहीं था | घर वाले तो जैसे तैसे इस दुख को बर्दाश्त कर रहे थे लेकिन रिश्तेदारों और पड़ोसियों से इस बच्चे का जिंदा रहना बर्दाश्त नहीं हो रहा था | सभी ने श्रीकांत के परिवार को सलाह दी कि वे उसे मार दें | उन सभी का मानना था कि ये बच्चा दृष्टिहीन होने के कारण किसी काम का नहीं है और बड़ा हो कर परिवार पर बोझ ही बनेगा | 10वीं के बाद श्रीकांत ने साइंस लेने की सोची, लेकिन स्कूल ने उन्हें दाखिला देने से मना कर दिया | उनका कहना था कि साइंस विषय उन जैसे दृष्टिबाधित बच्चों के लिए नहीं है | ऐसा बेतुका नियम उनके जैसे छत्रों के साथ एक अन्याय की तरह था. उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाने की ठानी और स्कूल पर केस कर दिया | अपनी पढ़ाई को लेकर उनकी ये कानूनी लड़ाई लगभग 6 महीने तक चली और उन्हें साइंस पढ़ने की इजाज़त मिल गई | इसके लिए भी एक शर्त रखी गई और वो ये कि उन्हें अपनी पढ़ाई अपने रिस्क पर करनी होगी | यदि किसी प्रयोग के दौरान उनके साथ कोई दुर्घटना होती तो इसमें स्कूल की कोई जवाबदेही नहीं होती. श्रीकांत ने ये शर्त भी मान ली और पढ़ाई में जुट गए | MIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीकांत को अमेरिका की कई कॉर्पोरेट कंपनियों में नौकरी करने के ऑफर मिले लेकिन उन्होंने सभी ऑफर ठुकरा दिए | एक गरीब परिवार से आने वाले दृष्टिहीन युवक के लिए विदेश की नौकरी से बढ़िया भला क्या ही हो सकता है ? लेकिन, श्रीकांत ने मना कर दिया क्योंकि उन्हें अपने देश के लिए, यहां के कमजोर लोगों के लिए कुछ करना था | अपनी इसी सोच के साथ वह भारत लौट आए और यहीं अपने काम शुरू करने की तैयारी में जुट गए | 2012 में भारत लौट कर श्रीकांत ने बौलैंट इंडस्ट्री के नाम से एक कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी की शुरुआत की | आज की तारीख में बोलैंट इंडस्ट्रीज ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक सहित अपनी 7 यूनिट स्थापित कर ली हैं | पत्तियों और इस्तेमाल किए गए कागज से ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग बनाने वाली ये कंपनी 2012 से लगातार 20 प्रतिशत मासिक की दर से विकास कर रही है | आज श्रीकांत की 7 फैक्ट्रियों में हर महीने करोड़ों की सेल होती हैं तथा उनकी कंपनी का टर्न ओवर दो सौ करोड़ से ज़्यादा है | जानकारी हो कि चार साल पहले ही कंपनी की वैल्यू 412 करोड़ रुपये आंकी गई थी |

Leave A Comment