वित्त मंत्री अरुण जेटली का आम बजट को लेकर ‘अर्थव्यवस्था’ समीक्षा
भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर तेजी से कदम बढ़ा रही है, क्योंकि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार, राजकोषीय मोर्चे पर विवेकपूर्ण कदमों और मूल्य स्थिरता पर ध्यान केन्द्रित करने की बदौलत वृहत-संवेदनशीलता कम हो गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि कीमतों के मोर्चे पर नरमी की स्थिति और देश में बाह्य चालू खाते के संतोषजनक स्तर को देखते हुए अगले दो वर्षों में 8 प्रतिशत या उससे भी ज्यादा की विकास दर हासिल करना अब संभव नजर आ रहा है।आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सरकार सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह के तीव्र विकास के लिए जो मौजूदा स्थितियां हैं, उनमें वृहत-आर्थिक स्थिरता सहायक साबित हो रही है।आर्थिक समीक्षा में वर्ष 2016-17 के दौरान आर्थिक विकास दर 7 से लेकर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत और वर्ष 2015-16 में 7.6 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करने के बाद 7 प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था में तब्दील कर दिया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान अब और अधिक मूल्यवान हो गया है, क्योंकि चीन फिलहाल अपने को फिर से संतुलित करने में जुटा हुआ है। आर्थिक समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में विकास के मोर्चे पर जो तेजी देखी जा रही है, वह मुख्यत: खपत की बदौलत ही संभव हो रही है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जहां एक ओर सेवा क्षेत्र के विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई, वहीं विनिर्माण क्षेत्र में आई तेजी ने लगातार दो वर्षों से मानसून के कमजोर रहने के चलते कृषि क्षेत्र में दर्ज की गई निम्न विकास दर की भरपाई कर दी है।आर्थिक समीक्षा में, हालांकि, कमजोर वैश्विक मांग के प्रति आगाह किया गया है।