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पर्यावरण अध्ययन की बहुविषयक प्रकृति पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

 

देहरादून | इंस्टिट्यूट इनोवेशन सेल, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ,श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड और इंटरनेशनल अकैडमी आफ साइंस एंड रिसर्च तथा एटमॉस्फेरिक फिजिक्स लैबोरेट्री हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में विश्व पर्यावरण दिवस के साप्ताहिक दिवस के अवसर पर एक दिवसीय पर्यावरण अध्ययन की बहु विषयक प्रकृति पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 7 जून को ऑनलाइन माध्यम से किया गया ।कार्यक्रम की शुरुआत इंस्टिट्यूट इनोवेशन एल के वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर आलोक सागर गौतम ने संगोष्ठी के विषय के परिचय के साथ किया साथ ही इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ताओं व समस्त सम्मानित शिक्षकों,प्रतिभागियों का स्वागत किया ।उद्घाटन सत्र में आई आई सी के प्रेसिडेंट प्रोफेसर अतुल ध्यानी तथा गढ़वाल विश्वविद्यालय रूलर टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर आर यस नेगी व रसायन विज्ञान की प्रोफेसर वीणा जोशी द्वारा किया गया प्रोफेसर अतुल ध्यानी जी ने इस कार्यक्रम के महत्व को बताया तथा यह भी बताया कि ऐसे कार्यक्रम से हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति सदा जागरूक रहने चाहिये। कार्यक्रम में कुल चार रिसोर्स पर्सन द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया ।प्रथम वक्ता डॉक्टर उपदेश वर्मा भौतिक विभाग एमके आर जी डीसी गाजियाबाद पूर्व संयुक्त सचिव आईआईटी दिल्ली एलुमनाई एसोसिएशन के थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में यह बताया कि भौतिक का अर्थात भौतिक विज्ञान का पर्यावरण में क्या भूमिका है इन्होंने इसको कई उदाहरण द्वारा बताया तथा यह भी बताया कि कि ग्लोबल वार्मिंग मैं फिजिक्स का क्या रोल है इलेक्ट्रिक जो जनरेट होते हैं थर्मल एनर्जी तथा सोलर एनर्जी में कैसे फिजिक्स के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारे मूल में ही विद्यमान है ,पर्यावरण का संरक्षण किया जाना आज के युग में नितांत आवश्यक है ।तत्पश्चात द्वितीय वक्ता रिसर्च एवं नेशनल कैंप एक्वा कल्चर एंड मैनेजमेंट सेंटर ,बांग्लादेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर विनय कुमार चक्रवर्ती जी ने वायु प्रदूषण व जल प्रदूषण के वर्तमान स्थितियों को बताया तथा यह बताया कि हम वायु प्रदूषण व पानी से प्रदूषण के पर्यावरणीय कारकों को कैसे दूर कर सकते हैं अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति सनातन की संस्कृति है हमारी संस्कृति से ही ज्ञान समस्त विश्व में प्रसारित हुआ है। भारतीय जीवन दर्शन में पर्यावरण का क्या महत्व है इस पर विस्तार से बताया ।तत्पश्चात कार्यक्रम के तृतीय वक्ता डॉक्टर जे ब्रेमा,प्रोफेसर सिविल इंजीनियरिंग विभाग करुणा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी कोयंबटूर की थीं। उन्होंने पानी में प्रदूषण क्यों हो रहा है, इसके क्या कारण है तथा इस को कैसे दूर किया जाए इसके बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने यह बताया कि पानी का जीवन में क्या महत्व है पानी को कैसे हमें बचा कर रखना है अपने वक्तव्य में उन्होंने चेन्नई में आए फ्लड बाढ़ से उत्पन्न समस्याओं को भी बताया तथा उन समस्याओं से कैसे बचा जाए इसको भी अच्छे से बताया उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए अलग से किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं है पर्यावरण को बचाने के लिए डिग्री के बचाए पर्यावरण संरक्षण को हमारे जीवन के तरीके का हिस्सा होना चाहिए तभी पर्यावरण की रक्षा और संवर्धन किया जा सकता है ।साथ ही यह भी कहा कि धरती को प्रदूषण से बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारी है अगर हम स्वयं अपने अंदर सुधार करें तो हमारा पर्यावरण अपने आप एक संतुलित रहेगा कार्यक्रम के चौथे व अंतिम वक्ता बी आर सुरेंद्रनाथ कॉलेज कोलकाता, पश्चिम बंगाल के प्रोफेसर मोनोजीत राय प्रिंसिपल प्रोफेसर ऑफ केमिस्ट्री थे। इन्होंने बल्क मेटल्स ऑफ लाइफ और रिवर पर्यावरण पर अपने व्याख्यान दिया। इन्होंने पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न आयामों को बड़े ही विस्तार से उदाहरण पूर्वक बताया साथ ही वर्तमान में पर्यावरण के क्या-क्या कारक हैं हमको अपने पर्यावरण के संरक्षण कैसे किया जाए इसके बारे में बड़े विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में जंगलों में जो आग लग रहे हैं ,गंगोत्री में जो ग्लेशियर पिघल रहे हैं भौगोलिक परिस्थितियां कैसे बदल रही हैं उत्तराखंड में पर्यावरण को कैसे संरक्षित किया जाए इसके बारे में बड़े विस्तार से बताया। तत्पश्चात पेपर प्रस्तुति कार्यक्रम में शिक्षा विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर देवेंद्र सिंह व भौतिक विभाग एमएससी के छात्र संजीव कुमार व अन्य प्रतिभागियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात प्रश्नोत्तरी सेशन आई आई सी के सदस्य डॉक्टर बृजेश गांगिल व डॉ मनोज गुप्ता द्वारा संपन्न किया गया । कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आलोक सागर गौतम द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन आईआईसी के सदस्य डॉक्टर सुधीर कुमार चतुर्वेदी विधि विभाग एसआरटी परिसर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आईआईसी के समस्त शिक्षक सदस्य, आईआई सी के छात्र सदस्य अंशुल,निखिल,संदीप व अन्य सदस्य तथा 100 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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