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देहरादून : सीएमआई अस्पताल में उत्तराखंड के प्रथम लेज़र एवं कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी क्लिनिक का हुआ शुभारम्भ

देहरादून 22 मई 2020 ( पीई) |  वैसे तो आज की महिलाएं अपने स्वास्थय के प्रति सजग हैं परन्तु महिलाओं को कई ऐसी स्वास्थ समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसे वह बढ़ती उम्र की समस्या मान लेती है, और ऐसा महसूस करती है कि सभी के साथ होता होगा ।  यह उनके सामाजिक जीवन पर बहुत असर करती है ।  उनको ऐसा लगता है कि इन समस्याओं का हल सिर्फ सर्जरी द्वारा ही हो सकता है लेकिन अब ऐसा नही हैं। देहरादून में सी एम आई हॉस्पिटल में डॉ सुमिता प्रभाकर द्वारा लेज़र वेल , लेज़र एवं कॉस्मेटिक क्लिनिक की शुरुवात की गई है, जिसमे महिलाओं का लेज़र एवं कॉस्मेटिक गायनोकॉलोजी द्वारा अत्याधुनिक लेज़र से उपचार किया जाएगा । उत्तराखंड में लेज़र एवं कॉस्मेटिक गायनोकॉलोजी की शुरुवात करने वाली डॉ सुमिता प्रभाकर पहली डॉक्टर एवं सी एम आई हॉस्पिटल प्रथम हॉस्पिटल होगा। आज सीएमआई हॉस्पिटल में लेज़रवेल लेज़र एवं कॉस्मेटिक गायनी क्लिनिक का शुभारम्भ हॉस्पिटल के डायरेक्टर और उत्तराखंड माइनॉरिटी कमीशन के अध्यक्ष डॉ आर के जैन  द्वारा, डॉ सुमिता प्रभाकर , डॉ अजीत गैरोला,  डॉ रोहित अरोड़ा, डॉ प्रवीण जिंदल, डॉ संजीव कुमार की उपस्थिति में  किया गया । इस अवसर पर सोशल डिस्टन्सिंग का पालन किया गया। डॉ सुमिता प्रभाकर अग्रणी महिला रोग विशेषज्ञा है एवं अकादमी ऑफ़ रिकनस्ट्रकट्रीव एवं कॉस्मेटिक गायनोकॉलोजी द्वारा कॉस्मेटिक प्लास्टिक गायनोकॉलोजी में सर्टिफाइड हैं और सोसाइटी ऑफ़ कॉस्मेटिक गायनकोलॉजिकल ऑफ़ इंडिया, एवं यूरोगाय्नी एवं पेल्विक हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की सदस्य भी हैं।

अत्याधुनिक लेजर सिस्टम बना वरदान

सीएमआई हॉस्पिटल के लेज़र वेल क्लिनिक में महिलाओं की निजी स्वास्थ तकलीफों जैसे कि बार-बार मूत्र रिसना, योनि का सूखापन, खुजली का बार-बार होना, गर्भाशय का बाहर खिसकना, संभोग में दर्द, पोस्टमेनोपॉज़ल जेनिटोरिनरी सिंड्रोम, योनि शिथिलता, योनि कायाकल्प, प्रसव के बाद के निशान, सभी प्रकार के झाइयां हटाने, मस्सो का  लेजर उपचार, एचपीवी और गांठो  का लेजर उपचार, लेजर लिपोलिसिस, त्वचा  कसाव, लैबियोप्लास्टी और हाइमेनोप्लास्टी का बिना किसी सर्जरी के अत्याधुनिक लेज़र तकनीक द्वारा बिना हॉस्पिटल में एडमिट हुए एवं बिना ऑपरेशन के उपचार किया जा सकेगा ।  यह कोई सर्जिकल प्रोसेज नहीं है, यह एक बिना बेहोश किये, दर्द रहित तकनीक है और इसकी कई मामलों में उच्च  सफलता दर दर्ज की गई है। यूं कहें कि महिलाओं की गुप्त समस्याओं का निवारण अब लेजर उपचार द्वारा संभव है।

महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर प्रभावित करती है यह बीमारियाँ

स्ट्रेस यूरिनरी इनकंटिनेंस (एसयूआई) पर जानकारी देते हुए महिला रोग विशेषज्ञ  डा. सुमिता प्रभाकर ने कहा कि यूरिनरी इंकांटिनेंस ( पेशाब पर नियंत्रण न होना, हस्ते, खांसते समय पेशाब का रिसना ) एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर प्रभावित करती है, और महिलाएं इसके बारे में परिवार में भी बात नहीं करती। इसमें यूरिन लीकेज पर शरीर का नियंत्रण नहीं रहता। सामान्य तौर पर इस बीमारी से आराम के लिए ऑपरेशन ही विकल्प होता है जिसकी सफलता की दर कम होती हैं और यह बेहद मुश्किल भरा होता है। यह हर उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है। ज्यादातर गर्भधारण के उपरांत एवं ४० की उम्र की बाद की महिलाओं में यह समस्या ज्यादा रहती है। इस तरह की समस्याओं का आधुनिक इलाज अब लेज़र द्वारा  उपलब्ध है, लेकिन महिलाओं को अपनी झिझक खोलनी होगी।

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