उत्तराखंड : एनडी तिवारी के “पाँच साल” की राह पर सीएम त्रिवेंद्र
देहरादून | उत्तराखण्ड मुख्यमन्त्री बदले जाने की वायरल हो रही खबरों का असर है कि उत्तराखण्ड के हर जिले के हर चैराहे और रेस्तरां में अब इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि क्या वाकई उत्तराखण्ड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह किसी अन्य ताजपोशी करने का मन भाजपा हाईकमान ने बना लिया है या फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत ही अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। फिलहाल उत्तराखण्ड का इतिहास इस बात की गवाही नहीं देता। फिर भी बहुत से ऐसे कारण है जिनके कारण त्रिवेन्द्र रावत अपना कार्यकाल पूरा कर सकते है। गौरतलब है कि राज्य बनने के बाद प्रथम निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी ही 2002 से 2007 तक यानी कि पूरे 5 साल तक मुख्यमंत्री रहे उनके अलावा कोई भी 5 साल तक लगातार मुख्यमंत्री नहीं बन पाया। बात अगर हम 2007 से 2012 की भाजपा कार्यकाल की करें तो पहले जनरल बी सी खंडूरी बाद में डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक और फिर से जनरल बी सी खंडूरी की ताजपोशी की गई। यानी कि इन 5 वर्षों में तीन मुख्यमंत्री हुए। 2012 में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला। कांग्रेस में भी विजय बहुगुणा पूरा 5 साल का कार्यकाल नहीं संभाल पाए और कांग्रेस हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन करते हुए हरीश रावत को उत्तराखंड की कमान सौंप दी। यानी कि उत्तराखंड में स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी ऐसा शख्स नहीं हुआ जो 5 साल तक मजबूती से राज्य की बागडोर संभाल सके। उसके लिए पार्टी के अंदरूनी संगठन का मामला हो या फिर उसकी खुद की अपनी काबिलियत। इस पर उसके खरा नहीं उतरने का प्रमाण निश्चित रूप से कहा जा सकता है और अब उत्तराखंड में भी नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें हिलोरे लेने लगी हैं लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का आउटपुट हाईकमान को संतुष्ट करने वाला माना जा रहा है। ऐसा इसलिए कि उनके कार्यकाल में हुए जिला पंचायत के चुनाव तथा नगर निगम के चुनाव में पार्टी को अच्छी सफलता मिली है। दूसरा कई भ्रष्ट अफसरों को भ्रष्टाचार के मामले में जेल की हवा खानी पड़ी है। तीसरा यह कि त्रिवेन्द्र आरएसएस पृष्ट भूमि से है। ऐसे में त्रिवेंद्र रावत पार्टी हाईकमान को संतुष्ट कर सकते हैं और उन्हें अभयदान दिया जा सकता है। उसके बाद जल्द ही वे अपने मंत्रिमंडल के खाली पड़े पदों को भी भर्ती कर लेंगे। कुल मिलाकर देखने वाली बात होगी कि पंडित नारायण दत्त तिवारी के बाद दूसरा ऐसा सीएम बनने का गौरव प्राप्त होगा जो पूरे 5 वर्ष तक राज्य की कमान संभाले रखा।