स्वच्छ भारत अभियान के चार साल पूरे, जनता भी नींद से जागी
देहरादून। स्वच्छ भारत अभियान के चार साल पूरे हो चुके हैं। लाखों की तादाद वाली जनता भी नींद से जागी है और काफी हद तक शहर की स्वच्छता के प्रति सुधार भी आया, मगर सरकारी तंत्र एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा। जिम्मेदार नगर निगम गुजरे चार वर्ष से संसाधन की कमी का रोना रोते हुए सफाई अभियान से पल्ला झाड़ता रहा तो सरकार निगम पर इसका ठीकरा फोड़ती रही। शहरवासियों की बात करें तो घरों या दुकान के बाहर कूड़ा फेंकने के बदले अब लोग कूड़ा कलेक्शन सेंटर पर कूड़ा फेंकने जा रहे। सरकारी मशीनरी इसकी लिफ्टिंग में फेल रही। अब बात हो रही देशभर के शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण सूची की। अपने शहर में भी केंद्र की टीम सर्वेक्षण के लिए कभी भी गुप्त रूप से सर्वे कर सकती है। सर्वेक्षण मानकों को लेकर इन दिनों नगर निगम की नींद उड़ी हुई है। इस बार शहरों को कड़े मापदंडों से गुजरना होगा। जिसमें सबसे अहम है आमजन का फीडबैक। वो भी डोर-टू-डोर कूड़ा उठान और शहर की स्वच्छता को लेकर। अब दून शहर में भला कौन नगर निगम को इसमें सही ठहराएगा। शहर में कूड़ा उठान के जो हालात हैं, वह किसी से छुपे नहीं हैं। डोर-टू-डोर कूड़ा उठान के वाहन नियमित तो दूर एक हफ्ते तक वार्डों में नहीं पहुंचते। घरों में कूड़े व गंदगी के ढेर लगे रहते हैं और लोग कूड़ा उठान वाहनों का इंतजार करते-करते थक जाते हैं।