पैडवुमन ने दी रूढ़ियों को चुनौती
पिछले कुछ महीनों से यूपी के उन्नाव जिले के हसनगंज कस्बे में अजीब से नजारे देखने में आते हैं। कोई महिला कस्बे की पद्मिनी से बात कर रही हो और कुछ दूर कोई मर्द दिख जाए तो वे चली जाती हैं। पद्मिनी की बातें सुनकर वे हंसती हैं, लेकिन जवाब नहीं देतीं। वजह कुछ और नहीं, टूटती सामाजिक वर्जनाएं हैं। गांव में ही सैनिटरी पैड की फैक्ट्री लगाकर उन्नाव की पैडवुमन ने रूढ़ियों को चुनौती जो दी है। पद्मिनी ने गांव की महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पैड के इस्तेमाल के लिए समझाना शुरू किया, लेकिन कोई इस पर बात तक करने को तैयार नहीं था। बकौल पद्मिनी, कई महिलाएं धीरे से कहती थीं कि हम तो जमाने से कपड़े का प्रयोग कर रहे हैं। इसके इस्तेमाल से क्या होगा। उन्हें कपड़े के इस्तेमाल से संक्रमण और अन्य समस्याओं के बारे में बताया, लेकिन कुछ नहीं बदला। काफी महिलाओं ने तो इस वजह से बात तक करना बंद कर दिया। वह बताती हैं, ‘मैं जब नई उम्र की लड़कियों से जब वह कस्बे की गलियों में बात करती, तो वे दूर से ही किसी मर्द को देख झिझकतीं और चली जातीं।’ हालांकि इस कवायद में कई महिलाओं को समझाने में कामयाबी भी मिली। महिलाओं की इस झिझक को तोड़ने के लिए पद्मिनी स्कूलों में जाकर लड़कियों को सैनिटरी पैड के इस्तेमाल के लिए जागरूक करती हैं। पद्मिनी का कहना है कि महिलाएं धीरे-धीरे अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक हो रही हैं।