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गंगा की स्वच्छता को आगे बढ़ाने का संकल्प

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गंगा सबसे पवित्र नदियों में से एक है तथा करोड़ों भारतीयों की जीवन रेखा है। तथापि तेज वृद्धि कर रही आबादी तथा सम्बद्ध औद्योगिक विकास, बांधों के निर्माण एवं निर्वनीकरण ने प्रतिकूल रूप में जलप्रवाह अधिशासन को प्रभावित किया है। इसके अलावा नदी में अवशिष्ट जल के वर्धित जमाव ने पारस्थितिकीय प्रवाह द्वारा अनुरक्षित मंदन के जरिए नदी की स्वतः सफाई करने की क्षमता को घटाकर समस्याओं को बढ़ाया है।वन अनुसंधान संस्थान 16-17 अप्रैल, 2015 को ‘‘गंगा के लिए वानिकी हस्तक्षेपों की डीपीआर तैयार करना’’ विषय पर उत्तराखण्ड राज्य के लिए दो दिवसीय पहली परामर्शी बैठक का आयोजन कर रहा है। यह बैठक गंगा सफाई के लिए राष्ट्रीय मिशन, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा नवीकरण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत परियोजना के तहत आयोजित की जा रही है। इस बैठक में आई.आई.टी., राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, सुदूर संवेदी, भारतीय वन सर्वेक्षण, मृदा संरक्षण, राष्ट्रीय गंगा प्राधिकरण, ए एम यू, राज्य वन विभाग, सिंचाई, पेयजल निगम, कृषि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जैव विविधता बोर्ड, जल विद्युत परियोजनाओं से विशेषज्ञ एवं पणधारी तथा विभिन्न गैर सरकारी संगठन भाग ले रहे हैं। सहभागीगण परियोजना सूत्रीकरण एवं कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श करेंगे और गंगा की सफाई करने के लिए सुअवसरों एवं दबाव की पहचान करेंगे। बैठक के प्रारम्भ में श्री कुणाल सत्यार्थी, प्रमुख, वन संवर्धन प्रभाग ने बैठक में भाग ले रहे सभी सहभागियों का स्वागत किया और परियोजना तथा इसके उद्देश्यों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। इसके बाद डा0 पी.पी.भोजवैद, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान एवं प्रमुख परियोजना समन्वयक ने वानिकी हस्तक्षेपों के जरिए गंगा सफाई में चिंता के मुख्य-मुख्य विषयों की जानकारी दी और अत्यधिक सुअवसरों का उल्लेख किया। डा0 जी.एस.गोराया, उपमहानिदेशक (अनुसंधान), भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् ने भी विभिन्न नई प्रौद्योगिकियों के द्वारा नदी गंगा की सफाई करने के महत्व और हिमालयन नदियों के लिए विद्यमान संकटों के बारे में अपना दृष्टिकोण रखा। डा0 एस.चंदोला, प्रबंध निदेशक, उत्तराखण्ड वन निगम ने गंगा के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में सम्भावित वानिकी हस्तक्षेपों के ब्योरों के बारे में विचार प्रस्तुत किया और उन्होंने परियोजना की सफलता के लिए भी शुभकामनाएं दी। 16 अप्रैल को विभिन्न विशेषज्ञों एवं हितधारकों ने तीन तकनीकी सत्रों, यथा गंगा सफाई प्रयासों के अनुभव एवं भावी सम्भावनाएं, वानिकी हस्तक्षेप: सुअवसर एवं दबाव तथा वानिकी हस्तक्षेपों के जरिए साफ गंगा के लिए समुदाय सहभागिता माॅडल, में गंगा सफाई पर अपने अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। दो तकनीकी सत्र और अंतिम पैनल विचार-विमर्श एवं संस्तुतियां 17 अप्रैल, 2015 को की जाएंगी।

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