सचिन तेंडुलकर 45 के हुए, प्रशंसकों ने दी जन्मदिन की बधाई
24 अप्रैल 1973 को आज ही के दिन मुंबई में जन्मे सचिन तेंडुलकर 45 वर्ष के हो गए. उनकी बल्लेबाजी ने देश के करोड़ों खेलप्रेमियों को खुशी मनाने और गुरूर करने का मौका दिया. भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट में कई ऐसे रिकॉर्ड अपने नाम किए जिन्हें तोड़ना या उनके करीब तक भी पहुंचना मौजूदा क्रिकेटप्रेमियों के लिए चुनौती बना हुआ है. इन रिकॉर्ड से इतर सचिन ने अपने बल्लेबाजी कौशल से सचिन ने देश को कई नायाब जीतें दिलाई हैं. सचिन तेंदुलकर बेशक अब क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं लेकिन अभी भी वे देश के भावी क्रिकेटरों के लिए आदर्श बने हुए हैं. एमएस धोनी, वीरेंद्र सहवाग और विराट कोहली जैसे क्रिकेट सितारे यह बात कह चुके हैं कि क्रिकेट के इस ‘भगवान’ की बैटिंग को देखकर ही उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और उनकी हसरत हमेशा ही मास्टर ब्लास्टर की तरह बेहद आसानी से बेहतरीन स्ट्रोक खेलने की होती थी. मैदान के अंदर सचिन की बल्लेबाजी आक्रामकता से भरपूर थी लेकिन मैदान के बाहर उनकी छवि शांत और मददगार इनसान की है. टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान विराट कोहली 2014 के इंग्लैंड दौरे में बल्ले से बुरी तरह नाकाम रहने के बाद अपनी तकनीक में सुधार के लिए सचिन के पास ही पहुंचे थे. सचिन की देखरेख में विराट ने बल्लेबाजी का अभ्यास किया. सचिन की सलाह पर अमल करने के बाद विराट एक बेहतर बल्लेबाज बनकर उभरे और अपने बल्ले से रनों का अंबार लगाने लगे. कम ही लोगों को यह जानकारी होगी कि सचिन बचपन में बेहद शरारती थे. बड़े भाई अजीत तेंदुलकर उन्हें कोचिंग के लिए रमाकांत अचरेकर के पास लेकर गए. आचरेकर की कोचिंग में जब सचिन क्रिकेट सीख रहे थे तो शुरुआती दौर में दूसरे किशारों के तरह वे भी अनुशासित नहीं थे. इस मौके पर कोच की एक डांट ने सचिन की दुनिया बदलकर रख दी. सचिन ने खुद एक ट्वीट के जरिये उस वाकये का उल्लेख किया है. सचिन के अनुसार, अचरेकर सर की इस डांट ने उन्हें अनुशासन का ऐसा पाठ पढ़ाया जो उनके लिए बेहद काम आया. सचिन ने बताया- आचरेकर सर ने कहा था, दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं है. तुम अपने क्रिकेट पर ध्यान दो. ऐसा कुछ हासिल करो कि दूसरे लोग, तुम्हारे खेल को देखकर ताली बजाएं. मेरे लिए यह बहुत बड़ा सबक था, इसके बाद मैंने कभी भी मैच नहीं छोड़ा. सचिन के अनुसार, सर की उस डांट ने मेरी जिंदगी बदल दी. इसके बाद मैंने कभी भी क्रिकेट प्रैक्टिस को लेकर लापरवाही नहीं की. परिणाम सबके सामने हैं. आचरेकर सर की इस डांट में जिंदगी का सार छुपा हुआ था. दूसरे शब्दों में कहें तो कोच रमाकांत अचरेकर की इस डांट ने ही सचिन तेंदुलकर को मास्टर ब्लास्टर बनाने में अहम योगदान दिया।