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राजलक्ष्मी शारिरिक विकलांगता को मात दे कर रही जरुरतमंदो की सेवा

pahal

नई दिल्ली | सपने को पूरा करने और खुद की पहचान बनाने में शारिरिक विकलांगता कोई बाधा नहीं है यह कर दिखाया है राजलक्ष्मी ने।राजलक्ष्मी ने हार मानने की बजाय साइकॉलजी और फैशन में अपनी रुचि को आगे बढ़ाया। वह एसजे फाउंडेशन की चेयरपर्सन भी हैं। उनका यह फाउंडेशन शारिरिक रूप से विकलांग लोगों की मदद करता है। 2014 में मिस व्हीलचेयर इंडिया का खिताब जीतने के बाद उन्होंने अगले साल ही अपने फाउंडेशन के जरिए मिस पीजेंट का आयोजन कराया था। वह स्कूलों में जाकर बच्चों के लिए फ्री में डेंटल हैल्थ कैंप लगाती हैं और व्हीलचेयर वाले बच्चों के लिए अलग से ट्रेनिंग की भी व्यवस्था करती हैं। राजलक्ष्मी ने व्हीलचेयर बास्केटबॉल और व्हीलचेयर डांस प्रोग्राम में भी हिस्सा लिया है।शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद उन्होंने अपनी डिग्री पूरी की उसके बाद साइकॉलजी, फैशन डिजाइिनंग, वेदिक योगा जैसे कोर्स किए। 2015 के फैशन वीक में उन्होंने रैंप पर अपने जलवे बिखेरे थे। भारत में लिकलांगों की स्थिति के बारे में बात करते हुए राजलक्ष्मी कहती हैं, ‘भारत में सबसे बड़ी चुनौती इन्फ्रास्ट्रक्चर की है। मैं सब लोगों की मानसिकता को एक तराजू में नहीं तौलूंगी, लेकिन समाज में ऐसे भी लोग हैं जो विकलांगता को अलग नजरिए से ही देखते हैं। विकलांगता एक शब्द भर है जिसे एक स्थिति को बयां करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। विकलांगता मानसिक भी हो सकती है और शारिरिक भी।’ अंतर सिर्फ ये है कि शारीरिक विकलांगता को देखा जा सकता है, मानसिक को नहीं। उनके काम को कई फोरम में सराहा जा चुका है और उन्हें कई सारे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।

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